Update-वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी के एक मामले में हिंदू के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया है। दरअसल मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ज्ञानवापी परिसर का कब्जा हिंदुओं को सौंप दिया जाए ये मामला सुनवाई योग्य नहीं है। इस मामले की सुनवाई नहीं होनी चाहिए। लेकिन कोर्ट ने पहले दोनों पक्षों को सुना, फिर ये आदेश दिया कि इस केस पर सुनवाई संभव है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया है।
बता दें कि आज सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने सहित अन्य तीन मांगों को लेकर में सुनवाई हुई।
27 अक्टूबर से कोर्ट में सुरक्षित था फैसला
ज्ञानवापी मामले पर आज वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट अपना फैसला हुआ है। कोर्ट ने मामले में 27 अक्टूबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुननी थी। इसके बाद फैसला 8 नवंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। परंतु 8 नवंबर को जज छुट्टी पर थे। जिसके चलते फैसले को 14 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया। लेकिन 14 नवंबर को भी फैसला नहीं सुनाया गया। फैसले को जज महेंद्र पांडेय ने 17 नवंबर के लिए सुरक्षित रख लिया था।
‘मस्जिद विश्वनाथ मंदिर मंदिर का हिस्सा है’
गौरतलब है कि मामले में 26 अप्रैल को लोअर कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के अंदर वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। दरअसल हिंदु पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के अंदर शिवलिंग है। तो वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष का कहना था कि शिवलिंग नहीं है, बल्कि शिवलिंग जैसा दिखने वाला ये ढांचा वजूखाने के अंदर बना हुआ एक फव्वारा है। जहां मुस्लिम नामज पढ़ने से पहले जाते हैं।
वहीं जहां इस समय ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है। वहां प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर को बहाल करने की मांग उठाई गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मस्जिद विश्वनाथ मंदिर मंदिर का हिस्सा है। हिंदू पक्ष का कहना है कि विवादित परिसर को देखने पर ये स्पष्ट होता है कि वह मंदिर का ही हिस्सा है। इसलिए हिंदु पक्ष ने मस्जिद में मिले शिवलिंग की पूजा करने की इजाजत मांगी है।
‘ये स्थान हिंदुओं को सौंप दिया जाए’
वहीं इस मामले में विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन की पत्नी किरण ने ये याचिका दायर की थी। इस याचिका में चार बंदूओं पर बात की गई है। जिनमें उन्होंने कहा है कि आदि विश्वेश्वर के नियमित भोजन की व्यवस्था की जानी चाहिए। साथ ही यहां शिवलिंग प्रकट हुआ है इसलिए ये स्थान हिंदुओं को सौंप दिया जाए और गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित कर दिया जाए। तो वहीं मंदिर के ऊपर बने विवादित ढांचे को हटा दिया जाए।
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