हमीरपुर। राठ क्षेत्र के बिहूनी गांव में सदियों से अनोखी परंपरा चली आ रही है। यहां दशहरे पर रावण दहन नहीं किया जाता। गांव में सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा के मुताबिक रावण की प्रतिमा को सजाया-संवारा जाता है। लोग यहां रावण की प्रतिमा पर नारियल भी चढ़ाते हैं।
विजयदशमी पर असत्य के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया जाता है लेकिन राठ क्षेत्र में एक गांव ऐसा भी है जहां रावण दहन वर्जित है। बिहूनी गांव में करीब 10 फिट ऊंची रावण की प्रतिमा स्थापित है। गांव के बड़े-बुजुर्ग भी यह नहीं बता पाते हैं कि यह प्रतिमा कब और किसने बनवाई है। 10 सिर, 20 हाथ वाली प्रतिमा के सिर पर मुकुट में घोडे़ जैसी आकृति बनी हुई है।
बैठने की मुद्रा में बनी यह प्रतिमा सीमेंट से बनी बताई जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में दशहरे पर कभी रावण दहन नहीं किया जाता है रावण की प्रतिमा को सजाकर संवार कर वहां नारियल चढ़ाए जाते हैं। इसके पीछे गांव के कुछ लोग रावण के महाविद्धान होने का तर्क देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वेद वेदांत के ज्ञाता रावण का दहन कर अपने धर्म शास्त्रों का अपमान नहीं कर सकते।
रावण की प्रतिमा के कारण इस मोहल्ले का नाम ही रावण पट्टी हो गया है। जहां जनवरी महीने में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें रामलीला का भी मंचन होता है। राम का अभिनय करने वाले राजेश द्विवेदी बताते हैं कि रामलीला मंचन के दौरान रावण वध किया जाता है लेकिन पुतला दहन फिर भी नहीं होता है।