भारत अपने पुरानी संस्कृति के लिए जाना जाता है. ऐसे में हम प्रभु श्री राम को कैसे भूल सकते है.उस दौर के लंका और रामसेतु की कहानियां आज भी कानों में गूंजती है. ऐसे ही इतिहासों को अपने समेटे हुए है वो राज्य है तमिलनाडु का लेकिन तमिलनाडु में साल 1964 में आये साइक्लोन ने सबकुछ तबाह कर दिया इससे भारतीय रेलवे भी अछूता नहीं रहा, 1964 में आये साइक्लोन से मौजूदा पुराना पंबन ब्रिज छतिग्रस्त हो गया था.इसका कुछ हिस्सा समुद्र में बह गया था तब बाद में मेट्रो मैन के नाम से मशहूर हुए ई श्रीधरन ने इसे दोबारा ठीक कर के मजबूती दी थी लेकिन अब ये पुल कमजोर होता जा रहा है या यूँ कहें तो तमिलनाडु के रामेश्वरम में समुद्र पर बना करीब 100 साल से अधिक पुराना ऐतिहासिक पंबन ब्रिज जल्द ही रिटायर होने वाला है. लेकिन रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के नेतृत्व में भारतीय रेलवे ने इस पुल के बदले एक नया और ऐतिहासिक पुल बनाने काम शुरू कर दिया है ये पुल पुराने पुल से काफी अलग और आधुनिक होने वाला है
पुराने ब्रिज की खासियत
पंबन का पुराना ब्रिज सिंगल लाईन का है
पुराना पंबन पुल 24 फरवरी, 1914 को शुरू किया गया था
इस पुराने ब्रिज में करीब 147 पिलर हैं
पुराने ब्रिज का स्पेशल स्पैन 68 मीटर तक का है
पुराने ब्रिज में एक सामान्य स्पैन 12 मीटर का है
नए और आधुनिक ब्रिज की खूबियां और खासियतें
पंबन में बन रहा ये वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज देश का पहला ऐसा पुल होगा
नए पुल में 18.3 मीटर के 100 स्पैन और 63 मीटर के एक नेविगेशनल स्पैन होंगे
100 किमी तक तेज हवाओं की मार झेल सकता है ये ब्रिज
इस पुल के लिए अनुमानित लागत करीब 250 करोड़ रुपये से अधिक है
भारतीय रेलवे का लक्ष्य है की इस पुल का निर्माण इसी साल पूरा हो जाए
पुराने ब्रिज की बात करे तो जब पानी का जहाज़ इस ब्रिज के नीचे से जाता था तो ये ब्रिज बीच से खुल जाता था. इस नए पुल में शेजर रोलिंग लिफ्ट तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.जिससे बड़े पानी के जहाजों के गुजरने के लिए पुल क्षैतिज रूप से खुलेगा.इसे बनाने के लिए वर्टिकल लिफ्ट तकनीक का प्रयोग किया गया है, वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज मतलब ऐसा पुल जो ऊपर की ओर उठ सकता है