प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के सपने को अब भारतीय रेलवे भी साकार करते हुए नजर आ रहा है. इसी कड़ी में भारतीय रेलवे के बनारस रेल खाने में रेल इंजनों को तेजी से बनाने का काम शुरू हो चुका है..यहाँ बनने वाले डीजल लोकोमोटिव को रेलवे बड़े पैमाने पर विदेशों में निर्यात करने की तैयारी में है. लोको बनाने में और तेजी लाया जा सके इसके लिए लोको बनाने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है जिसका फायदा बरेका को ये मिला है कि इलेक्ट्रिक इंजन बनने में पहले जो समय 33 दिन का लगता था अब घटकर 21 दिन ही लगता है . बनारस लोकोमोटिव वर्क्स की जीएम अंजलि गोयल का कहना है कि मेक इन इंडिया’ की तर्ज पर हम विनिर्माण के साथ-साथ निर्यात भी कर रहे हैं. उत्पादन इकाई में यात्री लोकोमोटिव, फ्रेट लोकोमोटिव के साथ-साथ डीजल इंजन बनाए जा रहे हैं. इस साल हमने 380 लोकोमोटिव (निर्यात+घरेलू) का लक्ष्य रखा है.बनारस लोकोमोटिव वर्क्स ने अब तक 11 देशों को 171 इंजनों का निर्यात किया है और भविष्य में उन्हें और अधिक देशों में निर्यात करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. अगर हम इस कारखाने की बात करे तो अभी तक इस कारखाने में 6000 हार्स पावर मालवाहक इंजनों का ही निर्माण किया जा रहा था लेकिन साल 2022 तक इसकी क्षमता को बढ़ाकर 9000 हॉर्स पॉवर करने की योजना है . यहाँ बने रेल के इंजनों की तारीफ मोजाम्बिक , श्रीलंका, सूडान ,अंगोला,माली,तंजानिया बांग्लादेश जैसे कई देशों में हो चुकी है.अगले साल तक करीब 380 रेल इंजनों को बनाने का लक्ष्य रखा गया है.