India-Egypt trade: इस्लामिके देशों के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे है। इस वक्त इस्लामिक देशों में आर्थिक संकट मंडरा रहा है। वहीं पाकिस्तान आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बदहाल हो गई है और सराकर का खजाना निल बट्टा सन्नाटा हो गया है। देश में महंगाई चरम पर है और कई परिवारों के सामने भूखमरी की स्थिति है। खाने-पीने से लेकर रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजों को भी खरीदने के लिए लोगों को कई बार सोचना पड़ रहा है। विदेश मुद्रा भंडार की भारी कमी से सरकार और आम जनता के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। वहीं अर्थव्यवस्था को किसी तरह से पटरी पर लाने के लिए की शहबाज शरीफ सरकार लगातार कई देशों से आर्थिक मदद की गुहार लगाने में लगी है।
वहीं इस बीच एक और इस्लामिक देश है जहां पर आर्थिक भूचाल आ गया है। देश में खाने के लिए अन्न नहीं है। रोटी-रोटी के लिए लोग मोहताज है। ये कोई और नहीं बल्कि, पिरामिड और म्मी के लिए मशहूर मिस्र है। मिस्र की करेंसी अब सबसे निचले स्तर पर है। महंगाई से त्रस्त जनता अब बाजारों में जाना पसंद नहीं कर रही है। किराने की कीमतें आसमान छू रही है। अंडा अब एक लग्जरी आइटम बन गया है। मीट तो सपना हो गया है। और कई लोगों की थालियों से इस तरह के आइटम गायब होनें लगे हैं।
महंगाई दाम आसमान छू रही दाम
देश का मिडिल क्लास वर्ग स्कूल फीस और मेडिकल खर्चों के नीचे दबा हुआ है। काहिरा की 30 वर्षीय कम्युनिकेशन ऑफिसर माई अब्दुलघानी ने कहा कि, फिलहाल, हमें दूर-दूर तक कुछ नहीं दिख रहा है। उनके पति एक डिजाइन इंजीनियर हैं लेकिन जरूरतों को पूरा करन के लिए उन्हे चार नौकरियां करनी पड़ रही हैं। महिला ने कहा कि मैं यह सोचती हूं कि हम अपने बजट पर कैसे जीवित रहेंगे।
मिस्र का यह हाल रूस-युक्रेन जंग के बाद हुआ। अब वहीं यहीं हाल सभी मिडिल ईस्ट के कई और देशोंका है जो पूरी तरह से उखड़ सगये हैँ। जो एक समय पर मिस्र के कुल पर्यटकों का एक तिहाई हिस्सा थे वो जंग के चलते बड़े पैमाने पर काम हो गये। इसके साथ ही गेहूं की सप्लाई बाधित हेने के चलते इसकी कमी आई है। ये बात तो आपको पता ही होगी ज्यादा आबादी रूस-युक्रेन के गेंहू पर निर्भर है। विदेशी निवेशक भी मिस्र छोड़कर चले गये और अपना साथ 20 अरब डॉलर भी ले गये।
भारत और मिस्र के बीच रिश्ते
भारत और मिस्र के बीच संबंधों की बात करें तो ये रिश्ता दशकों नहीं बल्कि सदियों पुराना है। अब दोनों देशों के बीच साल 2023 नए आयामों को स्थापित करने वाला साबित होगा। मिस्र इस आर्थिक संकट से जूझ रहा है। संकट से उबरने के लिए उसे आर्थिक सहायता की जरूरत है। भारत भी सामरिक लिहाज से मिस्र की अहमियत को समझ रहा है। बता दें कि मिस्र उन कुछ देशों में से एक है जिसने कोरोना संकट के दौर में भारत को मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई मुहैया करवाई थी। 15 अगस्त. 1947 में भारत को आजादी मिलने के तीन दिन बाद ही दोनों देशों ने औरचारिक राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए ते। संबंधों की ये यात्रा साल 2023 तक आ पहुंची है।
भारत और मिस्त्र अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75 वर्ष पूरे कर चुके हैं। इतना ही नहीं मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि हैं। भारत और मिस्र के संबंधों में ये एक महत्वपूर्ण अवसर है जब दोनों देश सुरक्षा संबंधों को भी विस्तार दे रहे हैं। भारत और मिस्र के पुराने संबंधों के इस बार 26 जनवरी को नया आयाम मिलने वाला है। दोनों देशों के लिए ये दिन बेहद खास है। मिस्त्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनेंगे। ये उनका तीसरा भारतीय दौरा होगा। दोनों देसों के बीच सिर्फ राजनायिक ही नहीं, बल्कि बड़ा व्यापारिक सहयोग भी है।
भारत ने मिस्र की मदद के लिए आगे बढ़ाए हाथ
मिस्र का साथ देने से कई देशों ने पल्ला झाड़ लिया है लेकिन भारत मिस्र के साथ खड़ा है। भारत की ओर से मिस्र में गेहूं की सप्लाई हो रही है। इसके साथ ही मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। उनकी यह भारत यात्रा दिल्ली और काहिरा को और करीब लाएगी।