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कल से खुलेंगे केदारनाथ के कपाट, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

कल से खुलेंगे केदारनाथ के कपाट, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

कोरोना काल के दो साल बाद पहली बार केदारनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोले जा रहे हैं। इसे लेकर स्थानीय लोगों में भी काफी उत्साह है। हालांकि, मॉनसून सीजन में खराब हुई सड़कों को यात्रा शुरू होने से पहले तक ठीक नहीं कराया जा सका है। इन पर जगह- जगह काम चल ही रहा है।

सोनप्रयाग तक हमें जगह-जगह काम होता नजर आया। लैंडस्लाइड की वजह से बने डेंजर जोन को भी पूरी तरह सामान्य नहीं बनाया जा सका है।

केदारनाथ के दर्शन का इंतजार शुक्रवार को खत्म हो जाएगा। कल बाबा के मंदिर के कपाट खुलेंगे। इस बीच बाबा केदार की पंचमुखी डोली आज गौरीकुंड से केदारनाथ धाम पहुंच गई है। दो साल बाद बाबा के दर्शन का उत्साह श्रद्धालुओं पर इस कदर छाया है कि हजारों की संख्या में लोग केदारनाथ धाम पहुंच गए। इससे वहां की व्यवस्था चरमरा गई।

गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक का 21 किलोमीटर का पैदल रास्ता पूरी तरह पैक हो गया है। केदारनाथ धाम में होटलों में कमरे कम पड़ गए हैं। एक-एक कमरे का रेट 10 से 12 हजार रुपए तक जा पहुंचा है। रात गुजारने के लिए टेंट भी नहीं मिल रहे हैं। सिर छिपाने के लिए शेड तक नहीं हैं और लोग भारी ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। खाने-पीने की भी भारी दिक्कत देखी जा रही है।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए गाड़ियों को सोनप्रयाग से आगे नहीं जाने दिया जा रहा है। सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर दूर आखिरी पड़ाव गौरीकुंड तक छोटे वाहनों से ही सफर करने की इजाजत है।

केदारनाथ में विधिविधान से होगी पूजा

बाबा केदारनाथ का मंदिर भारतीयों के लिए केवल श्रद्धा और आस्था का ही केंद्र नहीं है, बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत की धार्मिक संस्कृति का मीटिंग प्वाइंट भी है। उत्तर भारत में पूजा पद्धति अलग है, लेकिन बाबा केदारनाथ में पूजा दक्षिण की वीर शैव लिंगायत विधि से होती है। मंदिर के गद्दी पर रावल होते हैं, जिन्हें प्रमुख भी कहा जाता है।

मंदिर में रावल के शिष्य पूजा करते हैं। रावल यानी पुजारी कर्नाटक से ताल्लुक रखते हैं। अब तक 326 रावल यहां रह चुके हैं। रावल संन्यासी होते हैं, उनका स्थान गुरु का होता है। हालांकि, मंदिर के पुजारी संन्यासी नहीं होते।

6 महीने बाद समाधि से बाहर आएंगे बाबा

ऐसी मान्यता है कि बाबा केदारनाथ जगत कल्याण के लिए छह महीने समाधि में रहते हैं। कपाट बंद होने के अंतिम दिन चढ़ावे के बाद सवा कुंतल भभूति चढ़ाई जाती है। कपाट खुलने के साथ ही बाबा केदार समाधि से जागते हैं। इसके बाद वह अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।

30 फीसदी बढ़ गए किराए

पेट्रोल-डीजल के आसमान छूते दाम से प्रभु के दर्शन भी अब महंगे होने वाले हैं। हरिद्वार से चारधाम के लिए चलने वाली कारों और मिनी बसों के किराए में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है। बताया जा रहा है कि इनोवा का किरया 4,500 से बढ़कर 6,000, बोलेरो और मैक्स 3,500 से बढ़कर 5,000, डिजायर 2,800 से 3,800 रुपए प्रति दिन तय किया गया है।

(By: ABHINAV SHUKLA)

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