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यूपी का है सीरज 'द ग्रेट खली',बाजार में नहीं म‍िलते नाप के कपड़े, जूते

यूपी का है सीरज ‘द ग्रेट खली’,बाजार में नहीं म‍िलते नाप के कपड़े, जूते, एक टाइम में खाता है इतनी रोटी

उत्तर प्रदेश के हमिरपुर जिले में भी खली जैसा दिखने वाला 18 वर्ष का नौजवान देखने को मिला है, जो महज 18 वर्ष की उम्र में खली की लंबाई से कम नहीं है। बताया जाता है कि हमीरपुर के अंतिम गांव नायकपुरवा इचौली में जिले के सबसे लंबे युवा सीरज की बात ही निराली है। इस छोटे से गांव में रहने वाले 18 वर्षीय युवक की लंबाई 7.2 फीट है जोकि ग्रेट खली से 1 इंच से ज्यादा है। हालांकि इनका जीवन दूसरों की तरह आसान नहीं हैं। क्योंकि सीरज की लंबाी उसके जीवन में कई परेशानियां भी लाती हैं। जिससे उससे रोजाना जूझना पड़ता है। उसके नाप का बाजार में ना तो जूता मिलता है और ना ही चप्पल। सोने के लिए अलग से 8 फिट का तख्त बनाया गया है। वहीं इसके बिस्तर भी अलग से बनवाने पड़े हैं।

आपको बता दें कि सीरज के पिता सिपाही लाल व मां कुसमा सामान्य किसान हैं। दोनों की लंबाई भी आम लोगों की तरह हैं। वहीं सीरज की लंबाई ने सभी को अंचभित कर दिया है। पिता सिपाही लाल ने बताया कि वर्ष 2009 के बाद बेटे की लंबाई व चौड़ाई में अभूतपूर्व बदलाव दिखाी दिया। वहीं सीरज ने बताया कि 2010 में मैंने हाईस्कूल कि परीक्षा दी और मन में आया कि मैं इसके बाद आर्मी में जाकर देश की सेवा करूं। इसलिए मैं कई वर्षों से गांव में करीब 10 किलोमीटर की दौड़ लगाया करता था।

सीरज को किन-किन परेशानियों का करना पड़ता है सामना

वहीं सीरज ने बताया था कि 14 वर्ष की उम्र के बाद मुझे अचानक ज्यादा भूख लगी और मैं छह रोटी के स्थान पर 20 रोटी व ढाईलीटर के साथ एक किलो मिठाी खाने लगा। इसके बावजूद मुझे हमेशा भूख लगने का अहसास होता रहता है। अधिक लंबाई होने के कारण घर के दरवाजे छोटे पड़ जाते हैं। पिता के पास पांच बीघा खेत हैं लेकिन फसल न होने की स्थिति में मजदूरी करनी पड़ती हैं। बताया कि मैं जहां भी जाता हूं लोग सेल्फी जरूर लेते हैं।

18 से 20 रोटी खाता है सीजन

सीरज की माता ने बताया कि उसकी लंबाई बढ़ने से हमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक परेशानी दिनचर्या के काम में आती है।नाशते में ढाई लीतर दूध इसे चाहिए ही होता है। इसके अलावा खाने में चूल्हे की बनी 18 से 20 रोटी, करीब आधा किलो चावल, पांच स्वजन के बराबर सब्जी एक बार के खाने में लेता हैं। श्यामा देवी ने बताया कि हम लोग गरीब परिवार से हैं। इतना बोजन रोजाना देना मुसीबत का सबब बना है। कहीं से कोई सरकारी मदद मिल जाए तो जीवन यापन में आसानी होगी।

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