लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation) के चुनाव के लिए चुनावी प्रचार-प्रसार जारी है। 900 से अधिक प्रत्याशी मैदान में है। सभी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं पर जिस नगर निगम तक पहुंचने के लिए जद्दोजहद हो रही है वो 300 करोड़ से अधिक का कर्जदार है। वहीं चुनाव प्रचार के दौरान दावेदार जो वादे कर रहे हैं उनको पूरा करना आसान नहीं होगा।
साल 2019 में नगर निगम की सीमा में 88 नए गांव शामिल किए गए थे। सिर्फ इन्हीं 88 गांवों में विकास कार्य कराने के लिए 5000 करोड़ से अधिक के बजट की आवश्यकता है। जबकि नगर निगम का सालाना बजट महज 2000 करोड़ का है। नगर निगम के इस मौजूदा बजट में लगभग 60 फीसदी बजट कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में खर्च हो जाता है। ऐसे में नगर निगम अपनी कमाई का एक भी पैसा पांच साल तक खर्च न करें तो नगर निगम सीमा में शामिल 88 नए गांवों में जनसुविधा मिल पाएगी।
नगर निगम चुनाव के दौरान के दौरान प्रत्याशी जनता से कई लुभावने वादे कर रहें है। जिसमें कोई हाउस टैक्स माफ, वाटर टैक्स माफ कराने की बात कर रहा है तो कोई बेहतर सड़क देने का वादा कर रहा। हालांकि, ये सब कुछ बजट से ही होगा जिसकी नगर निगम के पास भारी तंगी है। नगर निगम की आमदनी बढ़ाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिसके कारण आज नगर निगम 300 करोड़ से ज्यादा का कर्जदार हो गया। पिछले 13 सालों से गृहकर में बढ़ोत्तरी न होना भी नगर निगम को आर्थिक रूप से कमजोर बना रहा।