मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के पूर्व कैबिनवेट मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है। हालाकि ईडी ने सत्येंद्र जैन की जमानत का विरोध किया था। ईडी ने दिल्ली कोर्ट में कह कि अगर जैन को जमानत दी जाती है तो मामले के गवाहों की जान को खतरा हो सकता है। साथ ही जांच प्रभावित हो सकती है। प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल 30 मई को उन्हें गिरफ्तार किया था। इस समय वह तिहाड़ जेल में बंद हैं। जैन पर चार कंपनियों के जरिए धन शोधन करने का आरोप है। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा बृहसपतिवार को उनकी जमानत याचिका पर फैसला सुनाया।
उच्चा न्यायालय ने जांच एजेंसी औप आप नेता के वकील की दलिलें सुनने के बाद 21 मार्च को जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा लिया था। सत्येंद्र जैन ने इससे पहले अदालत से कहा था कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता और वह जांच में सहयोग कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने तर्क दिया था कि मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद उन्हें कैद में रखने की जरूरत नहीं है। ‘आप’ के नेता ने पिछले साल 17 नवंबर को निचली अदालत द्वारा दिए फैसले को चुनौती दी थी। निचली अदालत ने अपराध में जैन की संलिप्तता के प्रथम दृष्टया संकेत मिलने के आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया था।
आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
ईडी में सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग केस में 30 मई को गिरफ्तार किया था। वे तिहाड़ जेल में बंद है। आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जैन, उनकी पत्नी पूनम और अन्य पर केस दर्ज किया गया है। आरोप है कि जैन ने कथित तौर पर दिल्ली में कई शेल कंपनियां बनाई या खरीदी थी।
उन्होंने कोलकाता के तीन हवाला ऑपरेटर्स से 54 शेल कंपनियों के जरिए 16.39 करोड़ रुपये का काला धन भी ट्रांसफर किया। ED ने जैन परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों की 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। 2018 में भी इस मामले में ED ने सत्येंद्र जैन से पूछताछ की थी।