आखिरकार वरिष्ठ पत्रकार, ऐतिहासिक विषयों के लेखक और फिल्म समीक्षक विष्णु शर्मा की नई किताब ‘इंदिरा फाइल्स’ ने मार्केट में दस्तक दे दी है। हाल ही में चाणक्य के तौर पर मशहूर और हालिया रिलीज मूवी व अक्षय कुमार स्टारर ‘पृथ्वीराज’ के निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी, आगामी मूवी ‘आदि पुरुष’ के लिए चर्चित ओम राउत, अजय देवगन स्टारर ‘तान्हाजी’ के निर्देशक और पद्मश्री सितार वादक शिवनाथ मिश्र ने महादेव की नगरी वाराणसी में आयोजित ‘काशी शब्दोत्सव’ में प्रभात प्रकाशन की तरफ से प्रकाशित इस किताब का विमोचन किया।
‘काशी शब्दोत्सव’ कौन- कौन हुआ शामिल
दरअसल 10 से 12 फरवरी के बीच वाराणसी में संस्कृति, साहित्य, इतिहास और फिल्मों से जुड़े विषयों पर ‘काशी शब्दोत्सव’ आयोजित किया गया था। यह शब्दोत्सव जापान के सहयोग से बने इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर ‘रुद्राक्ष’ में आयोजित किया गया था।

जिसमें लगभग 10 पदमश्री पुरस्कार विजेताओं सहित केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, चंद्र प्रकाश द्विवेदी, ओम राउत, कंचन गुप्ता, गीतकार मनोज मुंतशिर, लोकगीतों की गायिका मालिनी अवस्थ और रतन शारदा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के तमाम दिग्गजों ने शिरकत की। इस दौरान आधुनिक शास्त्रार्थ देखने का मौका भी मिला।
‘आजाद भारत में वंशवाद की सबसे पहली प्रतीक हैं इंदिरा गांधी ‘
इस भव्य कार्यक्रम के दौरान ‘सिनेमा के विभिन्न दौर’ विषय को लेकर हुए सत्र में विष्णु शर्मा ने चंद्र प्रकाश द्विवेदी व ओम राउत से फिल्मों में चल रहे राजनीतिक एजेंडे, फिल्मों के बहिष्कार आदि से जुड़े तीखे सवाल किए। वहीं पैनल में मौजूद पत्रकार और लेखक अनंत विजय ने भी फिल्मी राजनीति पर कई तरह के सवाल उठाए।

‘इंदिरा फाइल्स’ के लेखक विष्णु शर्मा ने आगे कहा कि इंदिरा गांधी ही आजाद भारत में वंशवाद की सबसे पहली और सबसे ताकतवर प्रतीक हैं। लेकिन आज की पीढ़ी उन्हें या तो बांग्लादेश निर्माण के लिए जानती है या इमरजेंसी के लिए। जबकि 1984 के दंगों व सिक्किम विलय से जानने वाले कम ही हैं।
कांग्रेस के इस हाल के पीछे भी है इंदिरा गांधी का हाथ
विष्णु शर्मा ने आगे कहा ‘ऐसे में उनको कोई ये बताए कि आज जिस हाल में कांग्रेस है या फिर देश चीन से इतना पीछे है तो इसके पीछे भी काफी हद तक इंदिरा गांधी के वक्त की नीतियों का हाथ हैं। पार्टियों में तोड़फोड़, कई छोटी पार्टियों का उदय, कई राज्यों से कांग्रेस का जड़ से सफाया, खेल संघों का राजनीतीकरण, न्यायपालिका के काम में हस्तक्षेप, मीडिया पर लगाम, खुफिया अधिकारियों का निजी इस्तेमाल, सरकारी टेंडर्स में कमीशन कल्चर और हिंदी का राज्यभाषा ना बनना जैसे तमाम मुद्दे व प्रवत्तियां देश और पार्टी को इंदिरा गांधी की ही देन हैं।’
चंद्रप्रकाश और ओम राउत ने विष्णु शर्मा को बधाई देते हुए जताई ये उम्मीद
उन्होंने किताब के बारे में बोलते हुए कहा कि ये किताब आम जागरूक पाठक के नजरिये से लिखी गई है। ताकि वह सोशल मीडिया के वायरल झूठों से इधर संदर्भों के साथ सच जान सके। युवा पत्रकारों व एंकर्स के लिए तो ये किताब फैक्ट्स का खजाना है। 50 अध्यायों में लिखी इस किताब में निजी जिंदगी से लेकर इकोनॉमिक्स, नेपोटिज्म, करप्शन, चमचागिरी और निजी खुन्नस तक 50 विषय समेटे गए हैं।

वहीं इस मौके पर चंद्रप्रकाश द्विवेदी और ओम राउत ने विष्णु शर्मा को नई किताब के लिए बधाई दी। साथ ही उम्मीद जताई कि ये किताब भी फिल्मकारों को अपनी फिल्मों और वेबसीरीज के लिए कुछ नए विषय जरूर सुझाएगी।
कब खरीद सकेंगे आप ‘इंदिरा फाइल्स’
जानकारी के लिए बता दें कि ‘इंदिरा फाइल्स’ बहुत जल्द ही एमेजॉन, फ्लिपकार्ट व वॉल मार्ट आदि पर बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। वहीं विष्णु शर्मा इससे पहले ‘गुमनाम नायकों की गौरवशाली गाथाएं’, सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी’, ‘इतिहास के 50 वायरल सच’ और ‘सुनो बच्चो जैसी लोकप्रिय किताबें लिख चुके हैं।