सावन का महीना आ गया है, इस बार भक्तजन 15 जुलाई को शिवरात्रि मनाएंगे। वैसे तो सावन के सभी दिन बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। शिवरात्रि का एक अलग ही महत्व हैं। सावन शिवरात्रि के दिन सभी भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए सुबह से ही मंदिरो में एक जुट हो जाते है। आपको बता दे कि इस शिवरात्रि को श्रावण शिवरात्रि और सावन शिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता हैं.
सावन शिवरात्रि का महत्व ?
हिंदू पंचांग के मुताबिक साल में 12 शिवरात्रि आती हैं। हर साल सावन मास के कृष्षा पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि मनाई जाती हैं। इनमें से 2 शिवरात्रि का बहुत महत्व है। जिसमे पहली फाल्गुन मास की शिवरात्रि हैं, जिस शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से सबसे जयादा जाना जाता हैं और दूसरी सावन मास की शिवरात्रि इस शिवरात्रि की भी बहुत महत्वता होती है।
प्रदोष काल में पूजा करने का महत्व ?
बताया जा रहा हैं कि इस दिन सावन मास की शिवरात्रि को शनि प्रदोष व्रत का सयोंग बन रहा हैं, जिस व्रत को रखने से और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सारी मनोकमानाएं भी पूर्ण हो जाती है। मिली जानकारी के मुताबिक सावन मास की शिवरात्रि की बहुत मान्यता है। मान्यता इसलिए भी है क्योंकि बहुत से लोग अपने शनि दोष को खत्म करने के लिए और संतान प्रापती के लिए इस तिथी का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
इतना ही नहीं प्रदोष काल में पूजा करना बेहद शुभ माना जाता हैं। ये भी बताया जा रहा है कि प्रदोष व्रत का समय सूर्यास्त के 45 बाद शुरु होता हैं। इस बार सावन शिवरात्रि पर 2 शुभ योग बन रहे हैंस जिसमे पहले योग का नाम है वृद्धि योग हैं, जो सुबह 8 बजकर 22 मिनट से शुरु होगा। वहीं दूसरे योग का नाम ध्रुव योग हैं जो पूरी रात रहेगा।