Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/news1admin/htdocs/news1india.in/wp-content/plugins/jnews-amp/include/class/class-init.php on line 427

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/news1admin/htdocs/news1india.in/wp-content/plugins/jnews-amp/include/class/class-init.php on line 428
जब 28 साल के मुलायम सिंह यादव को चुनाव जिताने के लिए पूरे गाँव ने उठाया था ये कदम

Mulayam Singh Yadav Passes Away: जब 28 साल के मुलायम सिंह यादव को चुनाव जिताने के लिए पूरे गाँव ने उठाया था ये कदम

60 के दशक में जब देश में राम मनोहर लोहिया समाजवाद का झंडा बुलंद कर रहे थेे, तो उस समय उनके साथ कई ऐसे लोग जुड़े जिन्होने आगे चलकर इस समाजवाद को अपना मिशन बना लिया। उसी में से थे ‘नेता जी’ यानी मुलायम सिंह यादव। देश के कई हिस्सों में खासकर दिल्ली की गद्दी तक पहुंचने वाले राज्य उत्तर प्रदेश के कई शहरों में लोग समाजवादी बन रैलियां निकालते रहते थे। लेकिन इन रैलियों में ‘नेताजी’ शामिल ना होने का एक भी मौका नहीं छोड़ते थे। समाजवादी विचारधारा उनके मन को रम चुकी थी। एक बार उन्हें जिताने के लिए पूरे गांव वालों ने उपवास रखा। जिसके बाद मुलायम विधायक ही नहीं तीन बार सूबे के सीएम बने और केंद्र में रक्षा मंत्री तक का सफर तय किया।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का आज (10 अक्टूबर) निधन हो गया. उन्होने 82 साल की उम्र में दुनिया की अलविदा कह दिया। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने एक ट्वीट में अपने पिता के निधन की जानकारी दी. उनके निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर है. पीएम मोदी समेत तमाम नेताओं ने दुख जताया है. आज हम आपको ‘नेताजी’ का वो किस्सा बता रहे है, जब वो राजनीति के शुरुआती चरण में थे। उन्हें विधायक बनाने के लिए पूरे गांव ने उपवास रखा। यही नहीं चंदा इकट्ठा करके गााड़ी और ईंधन की व्यवस्था की ताकि, मुलायम प्रचार के लिए जा सकें।

डॉ. राम मनोहर लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में मुलायम सिंह यादव सक्रिय सदस्य रहे। वे किसानों और अपने क्षेत्र के गरिबों की आवाज पर हमेशा मुखर रहा करते। यह वो दौर था जब मुलायम मास्टरी, कुश्ती और राजनीति तीनोॆ पहियों पर संतुलन बनाए हुए थे। एक बार की बात है जब जसवंतनगर में अखाड़े के दौरान मुलायम ने एक भारी भरकम पहलवान को चित कर दिया। उस कार्यक्रम के साक्षी तत्कालीन विधायकक नत्थूू सिंह की नजरें मुलायम पर पड़ी। वहीं इस घटना के बाद मुलायम की राजनीति में नया उदय हुआ। नत्थू सिंह ने मुलायम को अपना शागिर्द बना दिया।

1965 में बने मास्टर, पर मन में बसी थी राजनीति

इस बीच मुलायम सिंह इटावा से बीए की पढ़ाई करके टीचिंग कोर्स के लिए शिकोहाबाद चले गए बात 1965 की है, उनकी करहल के जैन इंटर कॉलेज में मास्टर की नौकरी लग गई। वहीं मुलायम सिंह यादव को नौकरी लगे 2 साल ही हुए थे। मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह ने 1967 विधानसभा चुनाव में अपनी सीट जयसवंतनगर से मुलायम सिंह यादव को उतारने का फैसला लिया । राम मनोहर लोहिया से वकालत की औपचारिक मुहर भी लग गई।

नत्थू सिंह ने खुद के लिए करहल सीट चुनी थी। मुलायम को जब जानकारी मिली तो उन्हे जयवंतनगर से सोशलिस्ट पाार्टी के लिए चुनाव लड़ना है तो वह प्रचार के लिए जुट गए। उनके दोस्त दर्शन सिंह के पास साइकिल थी । वह दर्शन सिंह के साथ उनके पीछे बैठकर चुनाव प्रचार के लिए जाते थे। वैैसे उन्होंने एक वोट, एक नोट का नारा दिया था। मुलायम चंदे में एक रुपया मांगते और ब्याज सहित लौटाने का वादा करते ।

आर्थिक मदद से पुरानी एम्बेसडर कार खरीदी

जब मुलायम सिंह यादव ने आर्थिक मदद से एक पुरानी एम्बेसडर कार खरीदी। लेकिन, अब सवाल ईंधन का था. तब इस बीच मुलायम के गांववालों ने बैठक बुलाई और कहा कि गांव का कोई आदमी चुनाव लड़ रहा है तो उसे पैसों की कमी नहीं होने देंगे। गांव के लोगों ने फैसला लिया कि हफ्ते

गांव वालो ने रखा था उपवास

इस बीच मुलायम सिंह यादव ने आर्थिक मदद से एक पुरानी एम्बेसडर कार खरीदी। लेकिन, अब सवाल ईंधन का था। इस बीच मुलायम के गांववालों ने बैठक बुलाई और कहा कि गांव का कोई आदमी चुनाव लड़ रहा है तो उसे पैसों की कमी नहीं होने देंगे। गांव के लोगों ने फैसला लिया कि हफ्ते में एक दिन एक वक्त का भोजन करेंगे। उन पैसों की बचत करके कार के लिए ईंधन के पैसे जुटाए गए।

कांग्रेस प्रत्याशी को मात देकर चौंकाया
जसवंतनगर में मुलायम सिंह यादव की लड़ाई हेमवती नंदन बहुगुणा के करीबी और कांग्रेस प्रत्याशी एडवोकेट लाखन सिंह से था। मुलायम ने पहली लड़ाई में ही मैदान फतह किया। वह 28 साल की उम्र में विधायक बन गए।

Exit mobile version