इस साल जुलाई के पहले हफ्ते में शुरू होने वाली कावड़ यात्रा को लेकर प्रशासन किसी भी प्रकार की कोई भी लापरवाही नहीं बरत रही है। यूपी सरकार ने कावड़ियों के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए है। कावड़ यात्रा में जाने वाले कावड़ियों के पास उनका पहचान पत्र होना जरूरी है। बिना पहचान पत्र के उन्हें कावड़ यात्रा की इजाजत नहीं मिलेगी।
12 फीट से ऊंची कावड़ पर रोक
इस बार कावड़ यात्रा को सुचारू रूप से चलाने के लिए राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, और दिल्ली समेत कई राज्यों के अधिकारियों ने मेरठ में बैठक की। बैठक में 12 फीट ऊंची कावड़, भाला और त्रिशुल समेत कई अन्य चीजों पर रोक लगा दी है। इसी के साथ हर पांच किलोमीटर पर रूकने वाले कावड़ियों के लिए शिविरों के साथ-साथ चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए है। कावड़ यात्रा के दौरान अश्लील गानों पर भी रोक लगा दी गई है। कावड़ यात्रा के दौरान सोशल मीडिया पर भी विशेष ध्यान रखा जाएगा। सोशल मीडिया पर कावड़ यात्रा के दौरान फैलाई जा रही अफवाहों पर भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी। इसी के साथ उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी जो सोशल मीडिया पर धर्म को लेकर विवादित पोस्ट करेंगे।
क्या होती है कावड़ यात्रा
सावन के महीने में भोलेनाथ के भक्त गंगा तट पर जाते हैं। वहां स्नान करने के बाद कलश में गंगा जल भरते हैं और फिर कांवड़ पर उसे बांध कर अपने कंधे पर लटका कर अपने-अपने इलाके के शिवालय में लाते हैं और शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। कांवड़ बांस या लकड़ी से बना डंडा होता है जिसे रंग बिरंगे पताकों, झंडे, धागे, चमकीले फूलों से सजाया जाता है और उसके दोनों सिरों पर गंगाजल से भरा कलश लटकाया जाता है। कांवड़ यात्रा के दौरान सात्विक भोजन किया जाता है। इस दौरान आराम करने के लिए कांवड़ को किसी ऊंचे स्थान या पेड़ पर लटका कर रखा जाता है। इसी के साथ यह पूरी कांवड़ यात्रा नंगे पांव ही करना होती है।