उत्तर प्रदेश विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान सपा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बरसे हुए कहा कि कहा कि अगर कोई किसी के पिता के बारे में बोलेगा तो स्वाभाविक है कि दूसरा भी कहेगा। यह परंपरा छोड़नी होगी। ऐसी शिक्षा नेताजी ने मुझे नहीं दी है। दरअसल पिछले दिनों राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान सीएम योगी और अखिलेश के बीच तू-तड़ाक की नौबत आ गई थी।
‘यही रामराज्य है और यही समाजवाद‘
वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि अगर आप परंमपराओं पर चलना चाहते हैं तो आपको परंपरा मानना होगा। आपने कई रीति-रीवाजों का पालन नहीं किया है। नेता सदन ने कुछ बोला था जो कि फ्लोर पर नहीं आना चाहिए। किसी के पिता के बारे में कोई कहेगा तो दूसरा भी बोलेगा। अगर आप परंपरा की बात करेंगे तो आपने भी कई रीति-रिवाजों को नहीं माना। जिसके बारे में हम चर्चा नहीं करना चाहते हैं। क्योंकि नेताजी ने हमें ऐसी शिक्षा नहीं दी है।’
सीएम योगी के आरोप पर अखिलेश ने कहा कि ‘नेता सदन ने कहा 46 में से 56 यादव एसडीएम की भर्ती हुए। मैं जातियों के नाम पढ़ सकता हूं, जिनकी भर्ती हुई थी। उस समय 2011 में 30 भर्ती हुई, जिसमें यादव सिर्फ 5 थे। जबकि 2012 में 3 यादव थे। अब नेता सदन इस सूची को जारी करें। इसी समानता के लिए हम जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। यही रामराज्य है और यही समाजवाद है।’
‘हम रामचरितमानस के खिलाफ नहीं‘
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि मैंने रामचरितमानस के बारे में नहीं पूछा था बल्कि ये पूछा था कि शुद्र क्या है। जब कोई घर से गया तो क्या गंगाजल से घर धोया जाता है। ये क्या दिखाता है। क्या नेता सदन ये बताएंगे कि शुद्र गलत है। हम रामचरितमानस के खिलाफ नहीं है। ये किसने कहा कि भगवान सबके हैं। केवल आप चंदा लेते हैं तो क्या आपके ही भगवान हैं।
‘महंगाई से त्राहि-त्राहि मची, छला गया प्रदेश का किसान’
अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में महज 4 प्रतिशत बेरोजगारी दर बताई जा रही है, तो क्या 90 प्रतिशत बेरोजगारों को रोजगार मिल गया है। गैस सिलेंडर, दाल, दूध, आटा सब महंगा हो गया है। महंगाई से प्रदेश में त्राहि-त्राहि मची है। बीजेपी सरकार के पास महंगाई कम करने का कोई भी जवाब नहीं है। यहां तक कि प्रदेश का किसान भी छला गया है। उसको न एमएसपी मिली न ही उसकी आय दोगुनी हुई। गन्ना किसान को बकाया भुगतान तक नहीं मिला।