रायबरेली: जहां एक तरफ देश के प्रधानमंत्री हर घर शौचालय देकर खुले में शौच जाने पर अंकुश लगाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं वही अधिकारियों की उदासीनता के चलते ग्रामीणों ने घर में बने शौचालय में लकड़ी व कंडे रख दिए है और सौंच के लिए खुलेआम बाहर जा रहे हैं। इसके लिए बनी निगरानी समिति भी शिफर हो गई है। ग्रामीणों में जागरूकता फैलाने के लिए व खुले में शौच जाने पर रोक लगाने के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देशित किया गया था लेकिन सरकार का निर्देश अधिकारियों के लिए मायने नहीं रखता। इसका सबसे बड़ा उदाहरण शहर से जुड़े हरचंदपुर ब्लॉक के लोहानीपुर ग्राम सभा में देखने को मिल सकता है।
खुले में शौच जाने से सामाजिक कुरीतियों के साथ-साथ तरह-तरह की बीमारियां पैदा होती है। जिस पर रोकथाम लगाने के लिए देश के प्रधानमंत्री ने एक अभियान चलाकर घर-घर शौचालय देने का काम किया। खुले में सौंच ना जाने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने का भी काम किया था। ब्लॉक के अधिकारियों की निगरानी में एक समिति भी बनाई गई थी जिसमें खुले में सौंच जाने पर उन्हें समझाने बुझाने का काम किया जाता था लेकिन अब ना तो समिति के लोग ही ध्यान दे रहे हैं और ना ही अधिकारी व कर्मचारी । जिसका परिणाम है कि लोग शौचालयों में शौच के लिए ना जाकर बल्कि खुले में शौच के लिए जा रहे हैं। खुले में शौच के लिए जाने का सबसे बड़ा कारण कि कुछ शौचालय तो अभी बने ही नहीं है जबकि उसका पूरा धन निकाल दिया गया है। वहीं ढेर सारे शौचालय ऐसे हैं जिसमें लकड़ी कंडे व ईंट पत्थर रखे गए हैं।
खुले में शौच मुक्त अभियान के तहत हर घर शौचालय देने का काम सरकार द्वारा किया गया और लोगों को जागरूक करने का भी लगातार काम किया गया लेकिन अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से ना तो अब निगरानी का काम हो रहा है और ना ही खुले में शौच जाने पर उन्हें समझाने बुझाने पर रोक लगाने का कोई प्रबंध ही किया जा रहा है। इससे सामाजिक कुरीतियां तो बढ़ ही रही हैं। साथ ही इंफेक्शन का भी खतरा बढ़ रहा है। इतना ही नहीं शहर से सटे हरचंदपुर ब्लॉक के लोहानीपुर गांव की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। नालियां बजबजा रही है। उसकी सफाई करने वाला ना तो वहां पर कर्मचारी आता है और ना ही ग्राम प्रधान ही देखरेख कर रहे हैं। ग्राम प्रधान व अधिकारियों की सांठगांठ के चलते सफाई कर्मचारी जहां मौज कर रहे हैं वहीं ग्रामीण तरह-तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं जिसकी सीधी जिम्मेदारी अधिकारियों व ग्राम प्रधान की मानी जा रही है।
वहीं स्थानिय व्यक्ति बुद्धी लाल (ग्रामीण) का कहना है की शौचालय ही पूरा नहीं बना है क्योंकि पूरा पैसा ही नहीं मिला। केवल पांच हजार रुपये मिला उसमें शौचालय क्या बनेगा। रही बात लकड़ी रखने की तो जब शौचालय ही नहीं पूरा तो क्या करेगा आदमी। बता दें की फिलहाल अभि ये मामला संज्ञान में नहीं आया है, अगर ऐसा मामला संज्ञान में आता है तो फौरन ही उस की जांच की जाएगी और जो भी दोषी होगा उसकी कार्रवाई होगी।