बिहार विधानसभा चुनाव 2025 कई वजहों से याद रखा जाएगा। इस चुनाव में पहली बार कई ऐतिहासिक और राजनीतिक घटनाएं देखने को मिलीं, जो बिहार के लोकतंत्र और सामाजिक संरचना में बदलाव का संकेत देती हैं।
1. रिकॉर्ड मतदान और महिला वोटर की भागीदारी
इस बार मतदान प्रतिशत 67% के आसपास रहा, जो राज्य के इतिहास में सबसे ज्यादा है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने करीब 10% ज्यादा वोट डाले (महिला: 71.78%, पुरुष: 62.98%)। महिला मतदाताओं के लिए सीधा नकद लाभ और योजनाओं (मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना) का असर साफ दिखा।
2. युवा और जाति राजनीति
18-29 वर्ष के वोटर्स का झुकाव बड़े पैमाने पर विपक्षी महागठबंधन (MGB) की ओर देखा गया। जातिगत गणना, सामाजिक न्याय, और रोजगार जैसे मुद्दे युवा और पिछड़े वर्ग को आकर्षित करते रहे।
3. तीखा मुकाबला: NDA vs महागठबंधन
एनडीए (भाजपा-जदयू) और आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली। कई एग्जिट पोल्स ने NDA को बढ़त दी, जबकि कुछ सर्वे में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनती दिखाई दी। सीटों पर विभाजन और क्षेत्रवार मुकाबले चर्चा में रहे (सीमांचल, मिथिलांचल, भोजपुर)।
4. नए दलों और नेताओं की भूमिका
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और छोटे दलों ने नए प्रगतिशील राजनीतिक विकल्प पेश किए. हालांकि इनका प्रभाव सीमित दिखा, लेकिन युवा और जागरूक मतदाताओं के बीच चर्चा में रहे।
5. चुनावी प्रचार और डिजिटल रणनीति
इस बार डिजिटल प्रचार, सोशल मीडिया कैंपेनिंग, AI जनित वीडियो और मीम्स का पहली बार इतना व्यापक इस्तेमाल हुआ। मुख्य दलों ने अपने अभियान को ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक के जरिए अप्रत्याशित तरीके से फैलाया।
6. मुद्दे: बेरोजगारी, पलायन, कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार
रोजगार, पलायन, “कुशासन बनाम सुशासन”, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय, जातिगत गणना और सरकारी भ्रष्टाचार (योजना लाभ, वोटर लिस्ट विवाद) प्रमुख मुद्दे बने।
7. चुनावी प्रबंधन और विवाद
कई जगहों पर वोटर लिस्ट संशोधन और चुनाव प्रबंधन को लेकर विवाद और विरोध भी चर्चा में रहा। विपक्ष ने वोटर डिलीशन और पक्षपात का आरोप लगाया, जबकि आयोग ने निष्पक्ष चुनाव का दावा किया।


