नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राजनीतिक दलों की तरफ से उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो चुकी है। 243 विधानसभा सीटों को लेकर एनडीए और महागठबंधन ने जिताऊ प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। इतना ही नहीं टिकट बंटवारे में सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के जातीय समीकरण पर खास ध्यान रखा है। महागठबंधन की तरफ से आरजेडी ने सबसे ज्यादा यादव और मुस्लिम तबगे के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। जबकि जेडीयू ने नीतीश कुमार की नीतियों पर चलते हुए पिछड़ा और अति पिछड़ा वाले समीकरण को साधते हुए उम्मीदवारों का चुनाव किया है।
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। अगर जातियों की बात की जाए तो लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने अपने पुराने एमवाई फॉर्मूले पर अमल करते हुए इन्हीं तमगे के नेताओं को चुनाव के मैदान में उतारा है। राष्ट्रीय जनता दल ने कुल 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। जिसमें यादव जाति से 51 उम्मीदवार है तो वहीं मुस्लिम बिरादरी से आने वाले 19 उम्मीदवारों को आरजेडी ने टिकट दिया है बाकी बची आधी सीटों पर आरजेडी ने सामान्य वर्ग से 14 उम्मीदवारों को मैदान में उतरा है। आरजेडी ने एनडीए के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए कुशवाहा जाति से आने वाले 11 उम्मीदवारों को इस बार टिकट दिया है।
कुशवाहा उम्मीदवारों को आरजेडी से मैदान में उतारने का फायदा तेजस्वी यादव को बीते लोकसभा चुनाव में मिला था। तेजस्वी ने एक बार फिर से इसी प्रयोग को विधानसभा चुनाव में दोहराया है। इतना ही नहीं राजद ने अति पिछड़ा उम्मीदवारों को भी ठीक-ठाक सीटें दी हैं। सुरक्षित सीटों पर दलित उम्मीदवारों को भी मौका मिला है। जाहिर है तेजस्वी यादव की तरफ से ए टू जेड के दावे के बावजूद आरजेडी ने एमवाई समीकरण का सबसे अधिक ख्याल रखा है। कुल मिलाकर आरजेडी ने 143 में से 70 सीटों पर यादव-मुस्लिम चेहरों पर दांव लगाकर बड़ी सियासी चाल चल दी है। एमवाई समीकरण को आरजेडी का पुराना आधार और वोट बैंक माना जाता है और मौजूदा चुनाव में लगभग 50 फीसदी टिकट इसी समीकरण को साधते हुए दिए गए हैं।
जेडीयू ने नीतीश कुमार के पिछड़ा, अति पिछड़ा मॉडल पर काम करते हुए मौजूदा विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व इसी दो तबके से आने वाले उम्मीदवारों को दिया है। जेडीयू ने अपने 101 उम्मीदवारों में से पिछड़ा वर्ग के 37 और अति पिछड़ा तबके से आने वाले 22 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसमें कुशवाहा जाति से 13 और कुर्मी जाति से 12 उम्मीदवार शामिल हैं। 8 यादव उम्मीदवारों को भी जेडीयू ने मैदान में उतारा है। धानुक जाति से आने वाले 8 उम्मीदवारों को जेडीयू ने मौका दिया है। सामान्य वर्ग के 22 उम्मीदवारों को जेडीयू ने मौका दिया है। इनमें भूमिहार जाति से 9 उम्मीदवार, राजपूत जाति से 10 उम्मीदवार, ब्राह्मण से 1 और एक कायस्थ उम्मीदवार शामिल है। इतना ही नहीं जेडीयू ने चार मुस्लिम उम्मीदवार भी मैदान में उतारे हैं।
जेडीयू ने दलित बिरादरी को भी मौका दिया है। मुसहर और मांझी समाज से आने वाले 5 उम्मीदवारों को जेडीयू ने टिकट दिया है। जबकि रविदास समाज से 5 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। अति पिछड़ी जातियों को भी जेडीयू ने अपने टिकट बंटवारे में प्रतिनिधित्व दिया है। जेडीयू के कुल 101 उम्मीदवारों में अलग-अलग जातियों से आने वाली 13 महिला उम्मीदवार भी शामिल हैं। ऐसे में कह सकते हैं कि सीएम नीतीश कुमार भी अपने पूराने फॉर्मूले पर इसबार भी चल रहे हैं। पिछड़ा और अति पिछड़े पर भी ही दांव लगाया है। जानकारों का कहना है कि जेडीयू ने जिस तरह से टिकट दिए हैं, इससे आरजेडी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। नीतीश कुमार ने मुस्लिम कैंडीडेट भी दिए हैं, जो महागठबंधन की नाव को पलटाने का मद्दा रखते हैं।
बीजेपी ने अपने 101 उम्मीदवारों में सभी वर्गों को सामाजिक समीकरण के मुताबिक मौका दिया है। बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट में सबसे अधिक संख्या सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की है। बीजेपी ने कुल 49 सामान्य वर्ग के उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। इसमें सबसे अधिक राजपूत जाति के 21 उम्मीदवार, भूमिहार जाति के 16 उम्मीदवार, ब्राह्मण जाति से 11 उम्मीदवार और एक कायस्थ उम्मीदवार शामिल हैं। बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट में पिछड़ा वर्ग के 24 उम्मीदवार शामिल हैं, इसमें 6 यादव, 5 कुशवाहा, 2 कुर्मी, 4 बनिया, 3 कलवार, 3 सूढ़ी, 1 मारवाड़ी और 1 चनऊ जाति से है। अति पिछड़ा समाज के कुल 16 उम्मीदवारों को बीजेपी ने मौका दिया है। इसमें निषाद जाति से 1, तेली से 5, केवट जाति से 1, बिंद जाति से 1, धानुक जाति से 1, कानू जाति से 3, नोनिया जाति से 1, चंद्रवंशी जाति से 1, डांगी से 1 और चौरसिया जाति से 1 उम्मीदवार शामिल है।
बीजेपी ने अनुसूचित जाति में सबसे अधिक उम्मीदवार पासवान जाति को दिए हैं। पासवान जाति के 7 उम्मीदवार, रविदास जाति के 3 और 1 मुसहर जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। इसके अलावा अनुसूचित जनजाति का 1 उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में है। इसके अलावे महागठबंधन में कांग्रेस, वीआईपी और लेफ्ट ने अपने जातीय और सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखकर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। एनडीए के साथ खड़े चिराग पासवान, तन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा ने भी अपने-अपने सामाजिक जातीय समीकरण के हिसाब से उम्मीदवारों को टिकट दिया है।