Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का प्रचार जैसे-जैसे गति पकड़ रहा है, सियासी गलियारों का तापमान विकास और रोजगार के शुरुआती मुद्दों से हटकर धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर शिफ्ट होता दिख रहा है। सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन दोनों तरफ से ऐसे बयान सामने आ रहे हैं, जो सीधे तौर पर समुदायों को साधने या उन्हें विभाजित करने की रणनीति का हिस्सा प्रतीत होते हैं। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पार्टी अनुशासन को तोड़ते हुए एनडीए प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले चार बागी नेताओं – पवन यादव, वरुण सिंह, अनूप श्रीवास्तव, और सूर्य भान सिंह – को छह साल के लिए निष्कासित कर एक कड़ा संदेश दिया है।
यह कार्रवाई न केवल संगठन में विद्रोह को दबाने का प्रयास है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि चुनावी समर में केवल आधिकारिक प्रत्याशी ही पार्टी का चेहरा होंगे। चुनावी मुद्दों में ‘नमक हराम’, ‘बुर्का’, ‘मुस्लिम डिप्टी सीएम’ और ‘वक्फ कानून’ जैसे विवादास्पद विषय छाए हुए हैं, जो राज्य की राजनीति को एक निर्णायक मोड़ पर ले जा रहे हैं।
गरमागरम मुद्दे: धर्म और समुदाय का टकराव
Bihar चुनाव प्रचार में धार्मिक ध्रुवीकरण को हवा देने वाले बयानों ने सियासी एजेंडा सेट कर दिया है। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने मुस्लिम समुदाय को ‘नमक हराम’ बताकर एक बड़ा विवाद खड़ा किया, यह आरोप लगाते हुए कि वे केंद्र की योजनाओं का लाभ लेते हैं, लेकिन बीजेपी को वोट नहीं देते। उन्होंने खुलकर कहा कि उन्हें ऐसे ‘नमक हरामों’ का वोट नहीं चाहिए।
जवाब में, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सीमांचल क्षेत्र में बड़ा दांव खेलते हुए ऐलान किया कि महागठबंधन की सरकार बनने पर वक्फ बोर्ड कानून को ‘कूड़ेदान’ में फेंक दिया जाएगा। यह बयान, मुस्लिम वोटों को ओवैसी के प्रभाव से दूर करने और एकजुट करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जिसे कांग्रेस और वामदलों का भी समर्थन मिल रहा है।
Bihar ध्रुवीकरण के अन्य मुद्दे भी पीछे नहीं हैं। बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बुर्का पहनकर मतदान करने वाली महिलाओं की पहचान को लेकर सवाल उठाया, जिसे चुनाव आयोग ने ‘महिला अधिकारियों की निगरानी में चेकिंग’ की बात कहकर शांत करने का प्रयास किया।
मुस्लिम डिप्टी सीएम और सियासी दाँव
मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम चेहरा घोषित किए जाने के बाद, मुस्लिम डिप्टी सीएम की मांग ने भी तूल पकड़ा है। जेडीयू और चिराग पासवान ने महागठबंधन पर मुस्लिमों को केवल वोटबैंक समझने का आरोप लगाया। पूर्णिया के सांसद और कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने दावा किया कि महागठबंधन की सरकार बनने पर डिप्टी सीएम मुसलमान ज़रूर बनेगा। यह सभी दाँव बिहार के लगभग 19% मुस्लिम वोटबैंक को साधने के लिए खेले जा रहे हैं।
बीजेपी का कठोर अनुशासन
एक तरफ ध्रुवीकरण की बहस चल रही है, वहीं दूसरी तरफ Bihar बीजेपी ने संगठन में अनुशासनहीनता पर कठोर रुख अपनाया है। पार्टी ने कहलगांव से पवन यादव, बहादुरगंज से वरुण सिंह, गोपालगंज से अनूप श्रीवास्तव और बड़हरा से सूर्य भान सिंह को दल विरोधी गतिविधियों के आरोप में छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। बिहार प्रदेश मुख्यालय प्रभारी अरविंद शर्मा ने स्पष्ट किया कि एनडीए के आधिकारिक प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ना ‘अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा’ है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कार्रवाई बाकी असंतुष्ट नेताओं के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से अधिक प्राथमिकता संगठन और एनडीए गठबंधन को दी जाएगी।
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Bihar चुनाव 2025 अब पूरी तरह से धार्मिक और भावनात्मक मुद्दों के इर्द-गिर्द सिमटता जा रहा है। बीजेपी का निष्कासन यह दर्शाता है कि वह चुनाव जीतने के लिए संगठन को एकजुट और अनुशासित रखने को प्राथमिकता दे रही है, जबकि दोनों प्रमुख गठबंधनों के नेता समुदाय आधारित बयानों से सियासी बिसात बिछाने में लगे हैं। अब देखना यह है कि बिहार की जनता विकास के वादों को याद रखती है या धार्मिक ध्रुवीकरण के ज्वार में बहती है।








