नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बजते ही राज्य में एकबार फिर बाहुबलियों के चर्चे शुरू हो गए हैं। इन्हीं में से एक नाम सिवान के बाहुबली शहाबुद्दीन का है। जिन्हें लोग सिवान का सुल्तान, साहेब और छोटे सरकार के उपनाम से भी पुकारते हैं। हालांकि शहाबुद्दीन अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके बेटे ओसामा सियासी पिच पर उतर चुके हैं। वह आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के पक्ष में धुआंधार बैटिंग कर रहे हैं। लालू यादव ने खुद अपने हाथों से शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को पार्टी का सिंबल दिया और रघुनाथपुर सीट से चुनाव के मैदान पर उतार दिया है। ओसामा अब एनडीए कैंडीडेट से दो-दो हाथ कर रहे हैं।
ऐसे में पहले हम आपको ओसामा के बारे में बताते हैं। ओसामा की कहानी सपा की लेडी सांसद इकरा हसन की तरह ही है। इकरा ने भी लंदन से पढ़ाई की और उन्हें लंदन गर्ल भी कहा जाता है। कुछ इसी तरफ ओसामा भी लंदन से पढ़ लिखकर बिहार आए और सिवान की गलियों में वह लंदन बॉय कहलाए। मोहम्मद शहाबुद्दीन के शादी हिना खान से हुई थी। शादी के बाद शहाबुद्दीन के दिन बहुरे। हिना ने बाहुबली शहाबुद्दीन को सिवान का कोहिनूर बनाया। हिना ही वह महिला थी, जिनके कारण शहाबुद्दीन एक बार नहीं बल्कि तीन बार सांसद चुने गए। शहाबुद्दीन को जेल से निकलवाया। मुकदमों की पैरवी की। हिना और शहाबुद्दीन के घर पर 12 जून 1995 को ओसामा को जन्म हुआ था।
शहाबुद्दीन ने अपनी औलाद का नाम ओसामा रखा। यहां बता दें कि ओसामा एक अरबी शब्द है, जिसका हिंदी में अर्थ है ‘शेर’. यह अरबी शब्द ‘उसामा’ से निकला है और दमदार मर्दों के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। शहाबुद्दीन और हिना ने अपने बेटे का नाम ओसामा क्यों रखा ये तो वही जानें, लेकिन दोनों ने एक अच्छे मां-बाप की भूमिका निभाते हुए अपनी औलाद को अपनी अपराध जगत की दुनिया से दूर करने की भरसक कोशिश की। ओसामा के होश संभालते ही शहाबुद्दीन ने उसे दिल्ली भेज दिया। यहां के नामी जीडी गोयनका स्कूल में उनकी तालिम होने लगी। 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद शहाबुद्दीन ने अपने लाडले को अपने साए से बचाए रखने के लिए सात समंदर पार रुख्सत कर दिया। ओसामा ने लंदन में एलएलबी की डिग्री हासिल की।
कोरोना काल में पिता की जेल में रहते हुए ही हुई मौत के बाद ओसामा सिवान लौटा। यहां 2021 में ओसामा का निकाह सिवान की आयशा से हुई। आयशा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर चुकी हैं और पेशे से डॉक्टरी की प्रैक्टिशनर हैं। बता दें कि ओसामा शहाब पर आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। 2023 में एक मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। राजस्थान के कोटा से पकड़े गए थे। सीवान कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेजा था। बाद में बेल मिली थी। 2023 में मोतिहारी में संपत्ति के विवाद में उन पर गोलीबारी, हत्या का प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत एफआईआर हुई थी। इस मामले में भी कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई है। फिलहाल ओसामा पर पांच केस दर्ज हैं। ओसामा को राजनीति में लाने की श्रेय उनकी मां हिना को जाता है। जानकार बताते हैं कि मां के कहने पर ओसामा राजनीति में आए।
ओसामा को लालू यादव ने सिवान के बजाए रघुनाथपुर सीट से टिकट दिया है। 2020 के चुनाव की बात करें तो रघुनाथपुर विधानसभा सीट से आरजेडी के हरिशंकर यादव जीते थे। उन्हें 67,757 वोट मिले थे। एनडीए से टिकट नहीं मिलने के बाद एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मनोज कुमार सिंह को 49,792 वोट मिले थे। जेडीयू के राजेश्वर चौहान को 26,162 और बीएसपी के विनय कुमार पांडेय को 5,295 वोट मिले थे। बता दें कि ओसामा शहाबुद्दीन के इकलौते बेटे हैं। उनकी मां हिना शहाब ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सीवान से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरीं लेकिन हार गईं। इसके बाद अक्टूबर 2024 में ओसामा शहाब और उनकी मां हिना शहाब ने आरजेडी का दामन थाम।. उस वक्त लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव दोनों ही मौजूद थे।
अब हम बताते हैं शहाबुद्दीन के बारे में। जिन्हें बिहार का बाहुबली कहा जाता था। शहाबुद्दीन का अलग ही रौला था। शहाबुद्दीन की तूती बिहार से लेकर यूपी में बोला करती थी। 80 के दशक में शहाबुद्दीन की दोस्ती मुख्तार अंसारी से हो गई। फिर प्रयागराज के अतीक अहमद से शहाबुद्दीन के संबंध हो गए। बताया जाता है कि जब भी मुख्तार और अतीक , अशरफ चुनाव लड़ते तब शहाबुद्दीन सिवान से सैकडों कारों का काफिला भिजवाया करते थे। खुद चुनाव प्रचार के लिए शहाबुद्दीन गाजीपुर से लेकर इलाहाबाद आते। हालांकि अब देश के चारों बाहुबली इस दुनिया में नहीं रहे। जुर्म की दुनिया चार बड़े नाम… मुख्तार, अतीक, अशरफ और शहाबुद्दीन. अपराध के अलावा एक और रिश्ता जुडर है। ये वो रिश्ता इन चारों की मौत से जुड़ा है। वैसे तो मौत अनिश्चित है, अब इसे इत्तेफाक कहें या पता नहीं. इन चारों की मौत रमजान के महीने में हुई, और मुसलमानों के लिए रमजान का महीना बहुत पवित्र होता है।
बिहार में सीवान जिले के प्रतापपुर में 10 मई 1967 को जन्मे मोहम्मद शहाबुद्दीन ने उच्च शिक्षा हासिल की थी। पॉलिटिकल साइंस में एमए और पीएचडी किया पर सीवान के डीएवी कॉलेज के दिनों में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। इसके साथ ही राजनीति में भी पैर पसारने की शुरुआत होने लगी थी। समय के साथ अपराध में शहाबुद्दीन का दबदबा बढ़ा और सीवान में हुसैनगंज थाने की पुलिस ने शहाबुद्दीन को ए-कैटेगरी का हिस्ट्रीशाटर घोषित कर दिया। 1990 में जेल में रहते हुए शहाबुद्दीन ने चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। विधायक चुने जानें के बाद शहाबुद्दीन की चार्जशीट बढ़ने लगी। फिर तो फिरौती के कई हाई प्रोफाइल मामले, अपहरण और मर्डर से जुड़े मामलों में शहाबुद्दीन नामजद किया गया पर राजनीतिक संरक्षण में वह क्राइम सिंडिकेट चलाते रहे।
शहाबुद्दीन का रुतबा बढ़ता देख लालू प्रसाद ने मौका देखा और उन्हें जनता दल की युवा इकाई में शामिल करा दिया। साल 1995 में शहाबुद्दीन ने जनता दल के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीता। साल 1996 में पार्टी ने लोकसभा का टिकट थमा दिया और जेल से विधानसभा पहुंचा शहाबुद्दीन संसद पहुंच गए। साल 1997 में लालू ने राष्ट्रीय जनता दल बनाया तो शहाबुद्दीन को पार्टी में भी जगह मिल गई। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार बनी तो शहाबुद्दीन की ताकत सत्ता के साथ मिल कर कई गुना हो गई। फिर तो सीवान की हर गली में शहाबुद्दीन के कटआउट लगाए जाने लगे। शहाबुद्दीन ने जिले में अपनी समानांतर सत्ता स्थापित कर ली। बिहार पुलिस की स्पेशल टीम ने नवंबर 2005 में दिल्ली में शहाबुद्दीन को फिर गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद कोर्ट में शहाबुद्दीन के खिलाफ कई मामले शुरू हो गए और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। साल 2009 में कोर्ट ने शहाबुद्दीन के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी तो उसने अपनी पत्नी हिना शहाब को पर्चा भरवा दिया।