बिहार: जींस-शर्ट में पहुँचकर मंत्री बन गए! जानिए उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश के कैबिनेट में शामिल होने की ‘इनसाइड स्टोरी’

यह फैसला एनडीए में सीट शेयरिंग से नाराज उपेंद्र कुशवाहा को खुश करने के लिए अंतिम समय में लिया गया। अपनी राजनीतिक सुरक्षा को लेकर चिंतित कुशवाहा ने एमएलसी सीट के वादे के बजाय, अपने बेटे को कैबिनेट में शामिल करवा लिया।

Deepak Prakash

Deepak Prakash News: बिहार में गुरुवार, 20 नवंबर 2025, को हुए नीतीश कुमार के 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण समारोह में एक नाम ने सभी को चौंका दिया। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश ने बिना विधायक या एमएलसी बने, सीधे मंत्री पद की शपथ ली। वह मंच पर जींस और शर्ट में पहुंचे, जिससे साफ जाहिर होता है कि यह फैसला अंतिम समय में लिया गया था। दीपक प्रकाश का नाम न तो चर्चा में था और न ही उन्होंने किसी औपचारिक तैयारी के संकेत दिए। यह राजनीतिक कदम एनडीए में सीट शेयरिंग से नाराज चल रहे उपेंद्र कुशवाहा को साधने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

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सूत्रों के अनुसार, शीर्ष नेतृत्व (नीतीश कुमार, अमित शाह और नरेंद्र मोदी) पहले इसके पक्ष में नहीं था, लेकिन एमएलसी सीट को लेकर कुशवाहा के अंदर भविष्य में डर सता रहा था। जानकार बताते हैं कि अपनी राजनीतिक पकड़ और बेटे Deepak Prakash का भविष्य सुरक्षित करने के लिए उन्होंने शपथ ग्रहण से ठीक पहले यह शर्त मनवा ली, और इस तरह दीपक प्रकाश अप्रत्याशित रूप से नीतीश कैबिनेट का हिस्सा बन गए।

राजनीतिक गलियारों में खलबली: कौन हैं दीपक प्रकाश?

नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी नई एनडीए सरकार में कुल 26 मंत्रियों ने शपथ ली। इन सभी नामों में सबसे ज्यादा चर्चा Deepak Prakash की हो रही है। वह न तो विधानसभा के सदस्य (MLA) हैं और न ही विधान परिषद के (MLC), फिर भी उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। मंच पर उनका जींस और शर्ट में पहुंचना इस बात की ओर इशारा करता है कि उन्हें खुद भी इस बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की पहले से कोई जानकारी नहीं थी।

शपथ ग्रहण के बाद जब दीपक प्रकाश से उनके मंत्री बनने के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “जाकर पापा से पूछिए… पापा ही बता पाएंगे।” उनका यह जवाब इस बात की पुष्टि करता है कि यह फैसला पूरी तरह से उनके पिता उपेंद्र कुशवाहा की रणनीति का हिस्सा था।

एमएलसी सीट के बदले कैबिनेट पद: क्या थी अंदरूनी डील?

विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से पता चला है कि Deepak Prakash के नाम पर मुहर अंतिम समय में लगी। शुरुआत में, जेडीयू और बीजेपी के शीर्ष नेता इस फैसले के पक्ष में नहीं थे।

  • सीट शेयरिंग की नाराजगी: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान, उपेंद्र कुशवाहा (राष्ट्रीय लोक मोर्चा) और जीतन राम मांझी (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) दोनों ही अपनी-अपनी पार्टी को मिली 6-6 सीटों के आवंटन से नाखुश थे।

  • समझौते का प्रयास: एनडीए नेतृत्व ने दोनों नेताओं को मनाने के लिए कुशवाहा को एक एमएलसी सीट और मांझी को भी उनके बेटे संतोष सुमन का कार्यकाल समाप्त होने पर एक एमएलसी सीट देने का वादा किया था।

  • कुशवाहा का डर: जानकार बताते हैं कि बिहार में एनडीए की प्रचंड बहुमत की सरकार बनने के बाद उपेंद्र कुशवाहा को यह डर सता रहा था कि एमएलसी सीट का वादा बाद में टल सकता है। वह अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता और बेटे का भविष्य तुरंत सुरक्षित करना चाहते थे।

  • अंतिम दांव: शपथ ग्रहण की तारीख तय होने के बाद, कुशवाहा ने रणनीतिक दबाव बनाकर एमएलसी सीट के वादे के बदले अपने बेटे दीपक प्रकाश को सीधे मंत्री पद दिलवाने पर सहमति बनवा ली। यह कदम उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक सौदेबाजी की क्षमता को दर्शाता है और उन्हें नई सरकार में एक मजबूत भागीदार के रूप में स्थापित करता है।

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