Yashwant Sinha’s Sarcasm Turns True: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार बड़ा राजनीतिक उलटफेर कर दिया। एनडीए ने शानदार प्रदर्शन करते हुए रिकॉर्ड 202 सीटें जीत लीं, जबकि महागठबंधन को सिर्फ 35 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। इन नतीजों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के उस पोस्ट की हो रही है, जिसमें उन्होंने चुनाव से पहले एक तीखा तंज कसा था। यशवंत सिन्हा ने एग्जिट पोल पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि सभी एग्जिट पोल गलत हैं और उनका ‘सर्वे’ बता रहा है कि एनडीए कम से कम 200 सीटें जीत रहा है, जबकि महागठबंधन का लगभग सफाया हो जाएगा। उन्होंने यह बात व्यंग्य में कही थी, लेकिन नतीजे आने के बाद उनकी यह भविष्यवाणी सच साबित हो गई।
नए पोस्ट में क्या लिखा
14 नवंबर को नतीजों के बाद उन्होंने अपने दो नए पोस्ट साझा किए। एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “जब तक ज्ञानेश कुमार मुख्य चुनाव आयुक्त बने हुए हैं, विपक्षी दलों को चुनाव लड़ना ही बंद कर देना चाहिए।” यह बयान साफ दिखाता है कि वह चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। दूसरे पोस्ट में उन्होंने सीधे कहा कि, “बिहार चुनाव के नतीजे बेहद सावधानी से तैयार किए गए हैं।” उनके इन बयानों को लेकर राजनीतिक हलकों में काफी बहस छिड़ गई है।
जीत का जश्न पूरे राज्य ने मनाया
उधर एनडीए की जीत का जश्न पूरे राज्य में देखा गया। गृह मंत्री अमित शाह ने इस जीत को बिहार के हर नागरिक की जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह जनादेश विकास, सुशासन, महिलाओं की सुरक्षा और गरीब कल्याण की योजनाओं पर जनता के भरोसे की मुहर है। शाह ने इसे “परफॉर्मेंस की राजनीति” का नतीजा बताया और कहा कि बिहार के लोगों ने साबित कर दिया है कि वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण जैसी प्रक्रियाएं जरूरी हैं और इसके खिलाफ राजनीति की कोई जगह नहीं है।
जीत जनमानस के विश्वास का प्रतीक
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बिहार के विकास के लिए और अधिक समर्पण के साथ काम करेगी। उन्होंने बिहार की जनता को लोकतंत्र की रक्षा करने वाली भूमि बताया और कहा कि यह जीत जनमानस के विश्वास की प्रतीक है।
इस बीच बंगाल की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है। सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि अब बंगाल की बारी है और वहां भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। उनके दावे में कितना दम है, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।
कुल मिलाकर बिहार के नतीजों ने एक बार फिर साफ कर दिया कि जनता का मूड पूरी तरह बदल चुका है और राजनीतिक दलों को अपनी रणनीति नए सिरे से बनानी होगी।
