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मौर्य युग की वापसी? सैनी–मौर्य–कुशवाहा: BJP की OBC इंजीनियरिंग में ‘कोईरी शक्ति’ कैसे बनी गेमचेंजर?

उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य और हरियाणा में नायब सिंह सैनी के बाद, बिहार में सम्राट चौधरी को दोबारा उपमुख्यमंत्री बनाना बीजेपी की ओबीसी रणनीति को उजागर करता है। गैर-यादव ओबीसी वोटों को साधने के लिए बीजेपी अब कोइरी समाज को अपनी पहली पसंद बना रही है।

Mayank Yadav by Mayank Yadav
November 20, 2025
in Bihar Elections 2025, Latest News
Maurya
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Maurya dynasty: बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में बनी एनडीए सरकार में सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के साथ ही, बीजेपी की ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) केंद्रित राजनीति में कोइरी समुदाय का कद लगातार बढ़ रहा है। यह अकेला उदाहरण नहीं है: उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य और हरियाणा में नायब सिंह सैनी को महत्वपूर्ण पद दिए गए हैं, जो दर्शाते हैं कि बीजेपी अब ओबीसी में कोइरी समाज पर खास ध्यान दे रही है। बिहार में, जहां यादव आरजेडी का परंपरागत वोट बैंक है, बीजेपी की नज़र गैर-यादव वोटों को एकजुट करने पर है।

सम्राट चौधरी को आगे कर, बीजेपी न केवल क्षेत्रीय संतुलन साध रही है, बल्कि भविष्य की लीडरशिप भी खड़ी करने की रणनीति पर काम कर रही है, जिसका सीधा मकसद कुर्मी-कोइरी समीकरण को मजबूत करना है।

बीजेपी में बढ़ता सम्राट चौधरी का कद: भविष्य की लीडरशिप

बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार की सरकार बन गई है, जिसमें बीजेपी ने सत्ता की बागडोर भले ही नीतीश को सौंपी हो, लेकिन सम्राट चौधरी Maurya को उपमुख्यमंत्री बनाकर अपने सियासी समीकरण साध लिए हैं। नीतीश कुमार कुर्मी जाति से आते हैं और सम्राट चौधरी Maurya कोइरी समुदाय से हैं, जिससे एक बार फिर कुर्मी-कोइरी की सियासी जोड़ी सत्ता के सिंहासन पर विराजमान है। बिहार में कोइरी समाज की आबादी लगभग 5% है, जबकि कुर्मी समाज की आबादी 2.5% है। हाल ही में हुए चुनावों में कुर्मी-कोइरी समुदायों के 71% वोट एनडीए को मिले थे।

75 वर्षीय नीतीश कुमार के मुकाबले, 57 वर्षीय सम्राट चौधरी को आगे बढ़ाकर बीजेपी भविष्य के लिए लीडरशिप खड़ी कर रही है। बिहार में यादव आरजेडी का परंपरागत वोटर है, इसलिए बीजेपी की नजर गैर-यादव ओबीसी वोटों पर है। पहले प्रदेश अध्यक्ष, फिर 2024 में डिप्टी सीएम, और अब दोबारा इसी पद पर ताजपोशी करके बीजेपी ने उनके सियासी कद को बढ़ाया है और कोइरी समाज को एक स्पष्ट सियासी संदेश दिया है।

केशव Maurya और नायब सैनी की दी पहचान

2014 में नरेंद्र मोदी के केंद्रीय राजनीति में आने के बाद से, बीजेपी का सियासी फोकस ओबीसी वोटों पर बढ़ा है, जिसमें कोइरी समाज के वोटबैंक पर खास ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके लिए देश के अलग-अलग राज्यों में कोइरी समाज की लीडरशिप खड़ी की जा रही है।

  • उत्तर प्रदेश: 2017 में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद, कोइरी समाज से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया गया। चुनाव हारने के बाद भी उन्हें पद पर बनाए रखना यह दर्शाता है कि वह यूपी में बीजेपी के ओबीसी चेहरे बने हुए हैं।

  • हरियाणा: बीजेपी ने कोइरी समाज से आने वाले नायब सिंह सैनी को पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाया और बाद में मनोहर लाल खट्टर की जगह उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। इसके माध्यम से बीजेपी ने हरियाणा में जाट राजनीति को काउंटर करते हुए ओबीसी वोटों को अपने साथ जोड़ने में सफलता पाई है।

बिहार में सम्राट चौधरी, यूपी में केशव प्रसाद मौर्य, और हरियाणा में नायब सिंह सैनी—तीनों कोइरी समाज से हैं। यह स्पष्ट करता है कि बीजेपी की ओबीसी सियासत में कोइरी समुदाय अब मुख्य केंद्र में है, जिसके माध्यम से वह गैर-यादव ओबीसी और जाट-विरोधी ओबीसी वोटों को साधने की रणनीति में सफल हो रही है।

कोइरी Maurya समाज की सियासी ताकत और इतिहास

देश के कई राज्यों में कोइरी समाज फैला हुआ है, जिन्हें मौर्य, शाक्य, कुशवाहा, काछी, और सैनी जैसे नामों से जाना जाता है।

  • जनसंख्या: यूपी में लगभग 7%, बिहार में 6%, हरियाणा में 4%, और राजस्थान में 3%। ओबीसी में यादव के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी आबादी है, जो किसी भी दल का खेल बनाने या बिगाड़ने की ताकत रखती है।

  • ऐतिहासिक संबंध: कोइरी समाज खुद को मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक के वंशज मानते हैं। बौद्ध धर्म से जुड़े स्थानों के आसपास इनकी अच्छी-खासी आबादी है। सम्राट अशोक की वजह से बड़ी संख्या में लोग बौद्ध धर्म का पालन भी करते हैं।

बीजेपी कोइरी नेताओं को सियासी अहमियत देकर उन्हें वैचारिक रूप से भी साधने का प्रयास कर रही है, जिसके तहत उन्हें हिंदुत्व की छत्रछाया में बनाए रखने की रणनीति है। यह कदम बीजेपी की ओबीसी वोटों को जोड़े रखने की व्यापक सियासी कवायद का हिस्सा है।

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Tags: Maurya
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