Bihar Exit Poll Controversy:बिहार विधानसभा चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल के नतीजों ने राजनीतिक माहौल गर्मा दिया है। एग्जिट पोल के मुताबिक, एनडीए गठबंधन को 160 सीटें मिल सकती हैं जबकि महागठबंधन को सिर्फ 77 सीटें मिलने का अनुमान है। वोट शेयर में भी एनडीए को 44% और महागठबंधन को 38% वोट मिलने की संभावना जताई गई है। भाजपा नेता तरुण चुघ ने इन आंकड़ों को जनता का मूड बताते हुए कहा कि बिहार की जनता ने एक बार फिर एनडीए सरकार बनाने का मन बना लिया है। वहीं जेडीयू नेता राजीव रंजन ने दावा किया कि तेजस्वी यादव अपनी राघोपुर सीट से भी हार रहे हैं।
राजद का पलटवार: “एग्जिट पोल नहीं, जनता का फैसला देखिए”
राजद एमएलसी कारी सोहैब ने एग्जिट पोल पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “सत्ताधारी दल सिर्फ अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। असली नतीजे 14 नवंबर को सामने आएंगे और 18 नवंबर को तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनेंगे।” तेजस्वी यादव ने भी एग्जिट पोल को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि यह सर्वे ‘पीएमओ से सेट’ किए गए हैं। उन्होंने कहा, “इस बार बिहार की जनता ने बदलाव के लिए रिकॉर्ड 76 लाख ज्यादा वोट डाले हैं। यह वोट विकास और बेरोजगारी के खिलाफ हैं।”
भाजपा ने मनाया जश्न, कांग्रेस बोली- हवा हमारे पक्ष में
एनडीए की संभावित जीत को देखते हुए भाजपा ने पहले ही 501 किलो लड्डू का ऑर्डर दे दिया है। वहीं कांग्रेस के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने दावा किया कि “बिहार की हवा पूरी तरह महागठबंधन के पक्ष में है।” कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा और सांसद तारिक अनवर ने भी एग्जिट पोल को पूरी तरह गलत बताते हुए कहा कि “यह सिर्फ मानसिक दबाव बनाने का हथकंडा है। असली फैसला जनता का होगा, न कि टीवी चैनलों का।”
सट्टा बाजार में तेजस्वी के सीएम बनने की संभावना 97%
बिहार के फलोदी सट्टा बाजार में भी राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। यहां के आंकड़ों के मुताबिक, तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने की संभावना 97% तक बताई जा रही है, जबकि नीतीश कुमार के दोबारा सीएम बनने की संभावना केवल 60% है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जातीय समीकरण, युवा वोटरों और महिला मतदाताओं का रुख इस बार चुनाव के नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है।
14 नवंबर को मतगणना, सस्पेंस बरकरार
बिहार के नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। फिलहाल एग्जिट पोल ने बिहार की सियासत को गर्मा दिया है। एनडीए अपनी जीत को पक्का मान रहा है, जबकि महागठबंधन जनता के फैसले पर भरोसा जता रहा है। अब सबकी निगाहें मतगणना के दिन पर टिकी हैं, जब यह तय होगा कि नीतीश की ‘कुर्सी’ बचेगी या तेजस्वी की ‘लालटेन’ चमकेगी।









