बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान मुकेश सहनी ने अपने भाई संतोष सहनी के पक्ष में अपना रास्ता अलग किया और आरजेडी के एक उम्मीदवार को समर्थन दिया। यह घटनाक्रम दरभंगा के गौराबौराम सीट पर हुआ, जहां संतोष सहनी वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) के उम्मीदवार हैं जबकि आरजेडी ने अफजल अली को मैदान में उतारा था।
शुरुआत में मुकेश सहनी खुद चुनाव लड़ने वाले थे और उन्होंने इस सीट से खुद नामांकन की योजना बनाई थी। हालांकि बाद में उन्होंने यह निर्णय लिया कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि अपने भाई संतोष सहनी और महागठबंधन में शामिल अन्य उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे। इस बदलाव की वजह वोट बंटवारे का खतरा था, जो अंततः सत्तारूढ़ भाजपा के पक्ष में जा सकता था।
अपनी दावेदारी पर अड़े रहे अफजल अली
दरअसल, आरजेडी ने पहले अफजल अली को टिकट दिया था, लेकिन सीट सौदे के बाद वीआईपी को यह सीट दी गई और मुकेश सहनी ने संतोष को उम्मीदवार बनाया। अफजल अली ने अपना नामांकन वापस लेने से इनकार कर दिया, जिसके कारण आरजेडी ने उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। इससे मुस्लिम वोटों का बंटवारा होने का खतरा पैदा हो गया, जिससे भाजपा को फायदा हो सकता है।
इस मिश्रित राजनीतिक परिस्थिति में, मुकेश सहनी ने महागठबंधन के अन्य दलों के साथ तालमेल बनाकर चुनाव को मजबूत बनाने का प्रयास किया है। संतोष सहनी के लिए तेजस्वी यादव ने भी खुले तौर पर समर्थन किया है।
इस घटना ने बिहार चुनाव के महागठबंधन के भीतर तालमेल और सीट बंटवारे के जटिल पक्ष को उजागर किया है। आगे आने वाले दिनों में इस सीट पर किसकी ताकत बढ़ती है, यह बिहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर प्रभाव डाल सकता है।
