Bihar Voting History: आजादी से अब तक बिहार में कब और कितना हुआ मतदान?

बिहार के चुनाव इतिहास में आजादी के बाद से अब तक के मतदान प्रतिशत को संक्षिप्त और तथ्यात्मक रूप में जानकारी देती है।

Bihar Voting History: बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत का विभिन्न वर्षों में उतार-चढ़ाव बिहार की राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य को दर्शाता है। आज़ादी के बाद से बिहार ने लोकतंत्र के कई चरण देखे हैं, जिनमें मतदान की भागीदारी ने सामाजिक जागरूकता, राजनीतिक स्थिरता और विकास के संकेत दिए हैं। नीचे बिहार के ऐतिहासिक मतदान प्रतिशत का संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत है।

  1. पहले चुनाव (1952):
    स्वतंत्र भारत के पहले विधानसभा चुनाव में बिहार में लगभग 40% से थोड़ा अधिक मतदान दर्ज हुआ था। यह आंकड़ा देश के उस समय के व्यापक सामाजिक और शैक्षिक स्तर को दर्शाता है।

  2. 1960-70 के दशक:
    इस काल में बिहार में मतदान प्रतिशत में स्थिर वृद्धि देखी गई। 1967 के चुनाव में करीब 55% मतदान हुआ, जो राजनीतिक गतिविधियों के बढ़ने और मतदाता जागरूकता के बढ़ाने का संकेत था।

  3. 1980-90 के दशक:
    इस दशक में बिहार में राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद मतदान का प्रतिशत करीब 60% के आसपास पहुंचा। 1995 के चुनावों में भी लगभग इसी स्तर की भागीदारी रही। इस दौरान जातीय राजनीति का प्रभाव बढ़ा लेकिन आम जनता की भागीदारी बनी रही।

  4. 2000 के बाद:
    2000 से लेकर 2010 तक Bihar में मतदान प्रतिशत करीब 55-60% के बीच रहा। 2015 के चुनाव में मतदान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, करीब 56.86% की भागीदारी थी, जो विपक्षी महागठबंधन के उदय का प्रदर्शन था।

  5. ताजा चुनाव (2020, 2025):
    2020 में लगभग 55.59% मतदान दर्ज हुआ, जबकि इस साल 2025 के पहले चरण में रिकॉर्ड 64.66% से ज्यादा मतदान हुआ, जो बिहार के इतिहास में सबसे उच्च मतदान दर है। यह बढ़ती राजनीतिक जागरूकता, बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था और मतदाताओं में बदलाव की मांग को दर्शाता है।

वर्ष मतदान प्रतिशत
1952 42.06%
1957 43.24%
1962 44.47%
1967 51.51%
1969 52.79%
1972 52.79%
1977 50.51%
1980 57.28%
1985 56.27%
1990 62.04%
1995 61.79%
2000 62.57%
2005 (फरवरी) 46.05%
2005 (अक्टूबर) 45.85%
2010 52.73%
2020 57.29%
2025 (पहला चरण) 64.05%

बिहार में मतदान प्रतिशत में वृद्धि का मतलब है राजनीतिक भागीदारी और मतदाताओं के बीच जागरूकता का विकास। उच्च मतदान आमतौर पर बदलाव की चाह और एंटी-इंकम्बेंसी का संकेत देते हैं। भविष्य में बिहार की राजनीति में युवा और महिला मतदाता निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

बिहार के मतदान इतिहास से यह स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए मतदाता सक्रिय हैं और वे सामाजिक-आर्थिक बदलाव के लिए अपने मत का प्रयोग करते रहे हैं। यह बिहार की समृद्ध और जटिल राजनीतिक संस्कृति का प्रमाण है।

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