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Biological Weapons: जानलेवा युद्ध का खामोश खतरा, जैविक हथियार क्या होते हैं कितने हैं घातक

जैविक हथियार इंसानों और जानवरों के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। इतिहास में इनका कई बार इस्तेमाल हुआ है। चीन, रूस और अमेरिका जैसे देश आज भी इन हथियारों पर गुपचुप तरीके से काम कर रहे हैं।

SYED BUSHRA by SYED BUSHRA
July 6, 2025
in राष्ट्रीय
Biological weapons in modern warfare
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Biological Weapons: आज के दौर में विज्ञान इतनी तरक्की कर चुका है कि ऐसे-ऐसे हथियार बनाए जा रहे हैं, जो इंसानों या जानवरों को चुपचाप मौत के घाट उतार सकते हैं। इन्हें जैविक हथियार कहा जाता है। जैविक हथियार ऐसे जीवाणु, वायरस या जहरीले पदार्थ होते हैं जो इंसानों में गंभीर बीमारियां फैला सकते हैं। अगर ये हथियार एक बार किसी इलाके में फैल जाएं तो इन्हें रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है। इनसे सिर्फ दुश्मन देशों के सैनिक ही नहीं, बल्कि आम लोग भी बड़ी संख्या में प्रभावित हो सकते हैं। इसी खतरे को देखते हुए 1972 में ‘जैविक हथियार सम्मेलन’ (Biological Weapons Convention – BWC) बनाया गया, ताकि ऐसे हथियारों पर रोक लगाई जा सके।

कब और कहां हुआ था जैविक हथियार का पहला इस्तेमाल?

जैविक हथियारों का सबसे पहला उदाहरण 14वीं सदी में मिलता है। उस समय तातार सेना ने कफा नामक शहर (आज के क्रीमिया में) को घेर लिया था। उन्होंने प्लेग से मरे हुए लोगों के शव शहर की दीवारों के ऊपर फेंक दिए थे, ताकि वहां के लोग भी बीमार हो जाएं। आधुनिक समय में, पहली बार विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने एंथ्रेक्स और ग्लैंडर्स जैसे बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया था। हालांकि, ये हमले छोटे स्तर के थे और उतने असरदार नहीं साबित हुए।

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किस-किस देश ने बनाए हैं जैविक हथियार?

दुनिया के कुछ देशों ने गुपचुप तरीके से जैविक हथियार बनाए हैं। इतिहास में देखा गया है कि रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में प्लेग फैलाने की कोशिश हुई थी। वहीं, जापान ने टाइफाइड फैलाने के लिए सोवियत संघ की पानी की पाइपलाइन में वायरस मिलाने की साजिश की थी। यह पहला मौका था जब दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया। इसके बाद कई देशों ने ऐसे हथियारों पर रोक लगाने के लिए जिनेवा प्रोटोकॉल पर दस्तखत किए थे।

कौन-कौन से देश आज भी जैविक हथियार बना रहे हैं?

भारत ने कभी भी जैविक हथियार बनाने की कोशिश नहीं की है। लेकिन जर्मनी, अमेरिका, रूस और चीन जैसे करीब 17 देश ऐसे हथियार बनाने में लगे रहे हैं। चीन पर तो कोविड-19 वायरस फैलाने का भी आरोप लगाया गया था। कहा जाता है कि कोरोना वायरस चीन की लैब से निकला था, लेकिन इसकी कोई ठोस पुष्टि आज तक नहीं हुई है। अमेरिका की पेंटागन रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन अभी भी जैविक हथियारों पर लगातार काम कर रहा है, जो पूरी दुनिया के लिए खतरा बन सकता है।

Tags: Biological WarfareInternational Security
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SYED BUSHRA

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