नई दिल्ली। उत्तराखंड में भी समान नागरिक संहिता (UCC ) को विधानसभा में हरी झंडी मिल सकती है। असम में मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1930 को समाप्त कर दिया गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने शुक्रवार रात इसकी जानकारी ट्वीट कर दी। सरकार के इस फैसले को लेकर कहा जा रहा है कि राज्य सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) दिशा में अपना पहला कदम बढ़ा दिया है।
कैबिनेट बैठक में फैसले को मंजूरी
शुक्रवार को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के दौरान इस फैसले को मंजूरी दी गई। कैबिनेट मंत्री जयंत बरुआ ने असम में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की दिशा में सरकार के इस फैसले को एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा, “हमारे मुख्यमंत्री ने पहले ही घोषणा की थी कि असम समान नागरिक संहिता लागू करेगा। आज, हमने मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को खत्म करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।”
https://twitter.com/himantabiswa/status/1761098927145922907
राज्य में UCC लागू कर सकती है सरकार
इसके अलावा असम में बाल विवाह पर भी प्रतिबंध लागू किया जाएगा। देर रात, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया कि “23 फरवरी, 2024 को, असम कैबिनेट ने सदियों पुराने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को खत्म करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इस अधिनियम में विवाह पंजीकरण की अनुमति देने वाले प्रावधान शामिल थे।”
सभी विवाह को एक विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत लाने का है प्रयास
कैबिनेट मंत्री जयंत बरुआ ने मीडिया से बातचीत में कहा, असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 के आधार पर, 94 मुस्लिम रजिस्ट्रार अभी भी राज्य में मुस्लिम विवाह और तलाक का पंजीकरण कर रहे थे। इसे अब समाप्त कर दिया गया है। आज की कैबिनेट बैठक के बाद , इस अधिनियम के माध्यम से मुस्लिम विवाह या तलाक का पंजीकरण अब संभव नहीं होगा। हमारे पास एक विशेष विवाह अधिनियम है, इसलिए हम चाहते हैं कि सभी विवाह विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत आएं।










