उत्तर प्रदेश: लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर (Samajwadi party) को एक और बड़ा झटका लगा गया है. स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद रविवार यानी आज को सलीम इकबाल शेरवानी ने (Samajwadi party) के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. पता चला है कि वह राज्यसभा के चुनाव में टिकट न मिलने से समाजवादी पार्टी से नाराज थे.
बदायूं से पांच बार रहे सांसद
बदायूं लोकसभा सीट से पांच बार रहे सांसद सलीम शेरवानी ने अपने पद से इस्तीफा देने के बाद जारी पत्र में अखिलेश यादव को लेकर लिखे गए पत्र में मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाया है. उन्होंने लिखा कि सपा में मुसलमानों की उपेक्षा से परेशान होकर महासचिव पद से इस्तीफा दे रहा हूं…जल्द ही भविष्य को लेकर फैसला लूंगा.
उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान लगातार उपेक्षित महसूस कर रहे है…राज्यसभा के चुनाव में भी किसी मुसलमान को नहीं भेजा गया है. भले ही मेरे नाम पर विचार नहीं किया जाता लेकिन किसी मुसलमान को भी यह सीट देनी चाहिए थी. मुसलमान एक सच्चे रहनुमा की तलाश में रहते हैं.
सलीम शेरवानी ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह से अखिलेश यादव ने पीडीए का नाम लिया है लेकिन राज्यसभा के चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की लिस्ट को देखते हुए लगता है कि आप खुद ही पीडीए को कोई महत्व नहीं देते है.
सलीम शेरवानी कौन हैं?
सलीम शेरवानी बदायूं लोकसभा सीट से 5 बार के सांसद रह चुके हैं. वह 4 बार (Samajwadi party) के टिकट पर चुनाव जीत चुके है. लेकिन पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर सांसद बने थे. सलीम शेरवानी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बहुत करीबी रह चुके है. सलीम शेरवानी के कहने पर उन्होंने 1984 में पहला चुनाव लड़ा था.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सलीम शेरवानी ने (Samajwadi party) को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. कांग्रेस के टिकट पर बदायूं से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे थे. इसके बाद वह सपा में वापस चले गए थे. अभी एक साल पहले ही उन्हें राष्ट्रीय महासचिव का पद दिया गया था.