Atlanta: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सरगर्मियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि (Atlanta) उनके प्रशासन ने 2017 में ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते से हटने का फैसला किया था क्योंकि यह एक “धोखाधड़ी” थी। इस समझौते से वाशिंगटन को एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता। उन्होंने दावा किया कि भारत, चीन और रूस इसके लिए भुगतान नहीं कर रहे थे।
कई मुद्दों पर हुई बहस
रिपब्लिकन पार्टी की ओर (Atlanta) से संभावित राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ट्रंप ने गुरुवार को अपने डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया की पहली बहस के दौरान ये दावे किए। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच अर्थव्यवस्था, सीमा, विदेश नीति, गर्भपात, राष्ट्रीय सुरक्षा स्थिति और जलवायु परिवर्तन पर बहस हुई।
‘एक अरब अमेरिकी डॉलर खर्च हो जाते’
गुरुवार रात करीब 90 मिनट की बहस के दौरान 78 वर्षीय ट्रंप ने दावा किया कि पेरिस जलवायु समझौते पर एक अरब अमेरिकी डॉलर खर्च होने थे और (Atlanta) अमेरिका ही एकमात्र ऐसा देश था जिसे इसका भुगतान करना था। इसे ‘धोखाधड़ी’ बताते हुए ट्रंप ने कहा कि चीन, भारत और रूस इसका भुगतान नहीं कर रहे हैं। 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को यह कहते हुए बाहर कर दिया था कि वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का अंतरराष्ट्रीय समझौता अमेरिकी श्रमिकों के लिए हानिकारक है।
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समझौता क्या था
पेरिस समझौते के तहत अमेरिका और अन्य विकसित देशों ने सामूहिक रूप से 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब अमेरिकी डॉलर का योगदान देने की प्रतिबद्धता जताई थी ताकि गरीब और विकासशील देशों को बढ़ते समुद्री जलस्तर और बिगड़ती गर्मी जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में मदद मिल सके।