पटना। 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार के नीतीश सरकार ने बड़ा दाव चलते हुए जातिगत जनगणना के डाटा को पेश कर दिया है. जेडीयू नेता और बिहार सीएम का ये दाव काफी अहम माना जा रहा है. बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े को सार्वजनिक करने के बाद राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में पार्टियों को राजनीतिक रणनीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है.
इतने प्रतिशत है पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों की आबादी
बता दें कि बिहार के नीतीश सरकार ने जो जातिगत आंकड़े पेश किए हैं. उसमें राज्य में अत्यंत पिछड़ों के आबादी को 36 फीसदी, वहीं पिछड़े वर्ग की आबादी को 27 फीसदी, करीब 19 फीसद अनुसूचित जाति और 1.68 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनसंख्या बताई गई है. इसके अलावा राज्य में सवर्णों की आबादी 15.52 फीसदी बताई गई है.
ये भी पढ़ें :- Ranbir Kapoor के फैंस का इंतजार हुआ खत्म, Animal का धांसू टीजर हुआ रिलीज
बिहार में सवर्णों की आबादी 15.52 फीसदी
गौरतलब है कि बिहार सरकार की तरफ से विकास आयुक्त विवेक सिंह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया है कि राज्य में फिलहाल सवर्णों की संख्या पूरी आबादी की करीब 15.52 प्रतिशत है. ब्राह्मण जाति से 3.66 फीसदी, राजपूत 3.45 फीसदी, मुसहर 3 प्रतिशत, कुर्मी की जनसंख्या 2.87 फीसदी, भूमिहार 2.86 प्रतिशत है.
धर्म के आधार पर हिंदुओं की तादाद सबसे ज्यादा
अगर धर्म के आधार पर बात करें तो सबसे ज्यादा हिंदू धर्म के लोग 81.99 प्रतिशतक, उसके बाद 17.70 प्रतिशत इस्लाम धर्म को मानने वाले और बाकी में अन्य धर्म को मानने वाले हैं.