पटना। बिहार के मुख्यमंत्री एवं जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) नेता नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि राज्य में जातिगत जनगणना का काम पूरा हो चुका है. अब इसके आकंड़ों को जल्द ही सार्वजनिक किए जाएंगे. 25 अगस्त यानी शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने बताया कि बिहार की जाति आधारित जनगणना पूरे देश के लिए रोल मॉडल बनेगी. देश के अन्य राज्यों में भी अब जातिगत जनगणना कराने की मागं उठने लगी है.
2011 में राजस्थान में आर्थिक और सार्वजनिक रिपोर्ट
बता दें कि बिहार से पहले दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक और राजस्थान में जातिगत जनगणना कराई जा चुकी है. लेकिन यहां पर आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया था. राजस्थान में साल 2011 में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने राज्य में जातिगत जनगणना कराई थी, इसमें सरकार द्वारा राज्य के लोगों के साथ-साथ जातियों की गिनती भी करवाई गई थी. हालांकि सामने आए आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया था. इस दौरान राज्य के आर्थिक और सार्वजनिक रिपोर्ट को ही सार्वजनिक किया गया था.
2017 में कर्नाटक सरकार को सौंपी रिपोर्ट
वहीं अगर दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक की बात करें तो यहां पर साल 2014-15 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के सीएम सिद्धारमैया ने जातिगत जनगणना करवाई थी. इस जनगणना पर विवाद बढ़ने पर इसका नाम बदलकर आर्थिक और सामाजिक सर्वे किया गया. इस जनगणना की रिपोर्ट साल 2017 में सरकार को सौंपी गई थी. कहा जाता है कि इस जनगणना में कई गड़बड़ियां आने के बाद सरकार द्वारा इसको सार्वजनिक नहीं किया गया.
हाईकोर्ट से मंजूरी, सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन
गौरतलब है कि राजस्थान और कर्नाटक को देखते हुए कहा जा रहा है कि अगर जातिगत जनगणना के आंकड़े सीएम नीतीश के अनुरूप नहीं आया तो रिपोर्ट को दबा दिया जाएगा, लेकिन अब खुद मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाएगा. राजधानी पटना में मीडिया से बात करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि कुछ लोग इसमें रोड़े अटकाना चाहते हैं. पटना हाईकोर्ट द्वारा राज्य में जातिगत जनगणना कराने वाली याचिका को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका अभी विचाराधीन है.