केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया वापस, लेटरल एंट्री को लेकर PM के निर्देश पर UPSC को भेजा गया पत्र

विपक्ष और सरकार के कुछ सहयोगियों के विरोध के चलते यूपीएससी में लेटरल एंट्री और उसमें आरक्षण की योजना को लेकर सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया है। पीएम नरेंद्र मोदी के आदेश पर भर्ती का विज्ञापन रद्द कर दिया गया है।

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नई दिल्ली : लेटरल एंट्री के मुद्दे पर केंद्र सरकार की ओर से एक बड़ा फैसला लिया गया है जिसके मुताबिक उन्होंने अपने लिए हुए फैसले (UPSC) में ही एक बड़ा बदलाव किया है।

आपको बता दें कि अब केंद्रिए सरकार ने लेटरल एंट्री और विभिन्न परिक्षाओं (UPSC) में विद्यार्थियों को दिए जाने वाले आरक्षण नहीं दिए जाने वाले मामले के विरोध में अपना फैसला ही वापस ले लिया है। इसके मुताबिक नए विद्यार्थियों की भर्ती को लेकर छापे गए विज्ञापनों को भी रदेद कर दिया गया है।

क्या है लेटरल एंट्री का मामला ? 

लेटरल एंट्री, जिस पर इतना विवाद हो रहा है, वास्तव में क्या है? अगर इसके बारे णें आपको नहीं पता है तो अब आप जान जाएंगे की लेटरल एंट्री क्या होता है ? लेटरल एंट्री के तहत प्राइवेट सेक्टर के विशेषज्ञों को केंद्र सरकार के मंत्रालयों में सीधे भर्ती किया जाता है। यह भर्ती जॉइंट सेक्रेट्री, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेट्री जैसे पदों पर की जाती है। प्राइवेट क्षेत्र में काम करने वाले 15 साल के अनुभव वाले लोगों की अफसरशाही में लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती की जाती है।
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इसमें शामिल होने वालों की उम्र 45 साल तक होनी चाहिए और उनके पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से कम से कम ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों में काम करने वाले लोग लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती के दायरे में नहीं आते हैं।
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