Champai Soren: झारखंड की राजनीति में इस समय चंपई सोरेन का नाम चर्चा का विषय बना हुआ है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के वरिष्ठ नेता Champai Soren के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में संभावित शामिल होने की अटकलों से लेकर खुद की पार्टी बनाने तक के कई राजनीतिक विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जैसे कि बीजेपी में उनकी भूमिका क्या होगी, या वे झारखंड की सत्ता में किस तरह की भूमिका निभा सकते हैं। इसके साथ ही, उनके और हेमंत सोरेन के बीच के मतभेद भी इस राजनीतिक कथा को और दिलचस्प बना रहे हैं।
चंपई सोरेन की बीजेपी में संभावित एंट्री
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दूसरी प्रमुख पार्टी है, और ऐसी चर्चा है कि चंपई सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) से अलग होकर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। उनके दिल्ली दौरे को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। हालांकि, चंपई की बीजेपी में एंट्री इतनी सरल नहीं होगी, इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं:
बीजेपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी: बीजेपी में पहले से ही तीन पूर्व मुख्यमंत्री (बाबू लाल मरांडी, रघुबर दास और अर्जुन मुंडा) मौजूद हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि चंपई की भूमिका क्या होगी? क्या बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में पेश करेगी? यदि बीजेपी ऐसा नहीं करती, तो झारखंड मुक्ति मोर्चा इसे चुनावी मुद्दा बना सकती है।
हेमंत सोरेन का आरोप: हेमंत सोरेन लंबे समय से बीजेपी पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाते आ रहे हैं। यदि चंपई बीजेपी में शामिल होते हैं, तो उनके इस आरोप को बल मिल सकता है, जिससे हेमंत सोरेन को चुनावी फायदा हो सकता है।
यह भी कहा जा रहा है कि यदि बीजेपी चंपई को शामिल करती है, तो चुनाव के बाद उन्हें केंद्र में कोई बड़ा पद दिया जा सकता है, जैसे कि राज्यपाल या किसी आयोग के चेयरमैन का पद।
खुद की पार्टी और संभावित गठबंधन
Champai Soren के बयान के बाद एक और चर्चा यह है कि वे झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के नाराज़ नेताओं के साथ मिलकर खुद की पार्टी बना सकते हैं। पार्टी के नाम के लिए कुछ विकल्प भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा में हैं, जैसे- बिरसा कांग्रेस, झामुमो (सोरेन) आदि।
सूत्रों के मुताबिक, यदि Champai Soren खुद की पार्टी बनाकर चुनाव लड़ते हैं और चुनाव के बाद किंगमेकर की भूमिका में आते हैं, तो बीजेपी उन्हें महाराष्ट्र के शिंदे फॉर्मूले की तरह मुख्यमंत्री भी बना सकती है। चंपई कोल्हान क्षेत्र के मजबूत नेता माने जाते हैं, जहां 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा को 14 में से 11 सीटों पर जीत मिली थी।
इसके अलावा, एक तीसरे विकल्प की भी चर्चा है। अगर चंपई बीजेपी के खांचे में फिट नहीं बैठते हैं, तो उन्हें एनडीए के किसी अन्य दल की कमान सौंपी जा सकती है। एनडीए में तीन और दल (जेडीयू, हम और लोजपा-आर) झारखंड की राजनीति में सक्रिय हैं, जिनमें जेडीयू पहले भी कोल्हान क्षेत्र में एक-दो सीटों पर चुनाव जीत चुकी है। हाल ही में झारखंड के बड़े नेता सरयू राय भी जेडीयू में शामिल हुए हैं।
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शिबू सोरेन के खास चंपई का हेमंत से मतभेद
Champai Soren ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत शिबू सोरेन के सानिध्य में की थी। झारखंड आंदोलन के दौरान उन्हें कोल्हान क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 1991 में पहली बार वे सरायकेला सीट से विधायक चुने गए। 2009 में शिबू सोरेन की सरकार में मंत्री बनने के बाद, 2010 में बीजेपी-जेएमएम के बीच समझौते के बाद अर्जुन मुंडा सरकार में भी उन्हें मंत्री बनने का अवसर मिला, जहां वे काफी प्रभावशाली थे।
2013 में हेमंत सोरेन सरकार में भी चंपई मंत्री रहे और झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने। 2019 में हेमंत के मुख्यमंत्री बनने के बाद, चंपई को परिवहन विभाग की जिम्मेदारी दी गई। 2024 के जनवरी में जब ईडी ने हेमंत को गिरफ्तार किया, तब शिबू सोरेन के कहने पर हेमंत ने मुख्यमंत्री की कुर्सी चंपई को सौंप दी।
हालांकि, हेमंत के जेल से बाहर आते ही दोनों के रिश्तों में दरार आ गई। चंपई को पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और फिर उन्हें हेमंत की कैबिनेट में शामिल होना पड़ा। इस घटना को चंपई ने अपमानजनक माना। उनके करीबी कहते हैं कि बिना विश्वास में लिए उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया, जिसे वे बर्दाश्त नहीं कर पाए।