नोएडा में एक करोड़ प्रतिबंधित ई-सिगरेट बरामद; जानें क्या है ई-सिगरेट और वे नेपाल से भारत में कैसे आए?

Noida Police Exposed Drug Smuggling Gang: नोएडा पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय नशा तस्कर गिरोह का पता लगाया है। 3 तस्करों को गिरफ्तार करके करोड़ों की प्रतिबंधित ई-सिगरेट भी बरामद की गई हैं। क्या आप जानते हैं?

Noida Police Recovered Banned E-Cigarette: नोएडा पुलिस ने एक करोड़ रुपये मूल्य की दो हजार प्रतिबंधित E-Cigarette बरामद की हैं, जो भारत में नेपाल से आए थे और कई स्थानों पर भेजे गए थे। नोएडा पुलिस ने तीन विदेशी गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

अब पुलिस गिरोह के सरगना की खोज कर रही है। यह नोएडा सेक्टर-20 कोतवाली पुलिस ने किया है। नोएडा सेक्टर-39 की कोतवाली पुलिस ने मामले में पहले से गिरफ्तार दो तस्करों की निशानदेही पर कार्रवाई की। मुखबिर की सूचना पर सेक्टर 41-42 के चौक से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। दोनों ई-सिगरेट की बोतल दिल्ली ले जा रहे थे, लेकिन पुलिस के हाथ लग गए।

E-Cigarette

इस प्रकार E-Cigarette की बिक्री

नोएडा जोन के डीसीपी विद्यासागर मिश्र ने कहा कि प्रतिबंधित ई-सिगरेट नेपाल से भारत आया है। गिरोह का मुखिया रिंकू नेपाल में रहता है, जहां से वह भारत में ई-सिगरेट बेचता है। ई-सिगरेट तस्कर नेपाल से भारत में कभी वाया सड़क से तो कभी हवाई जहाज से आते हैं। ई-सिगरेट को पहले चीन से नेपाल भेजा जाता है, फिर वहां से भारत में भेजा जाता है।

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फिर ई-सिगरेट को रात के क्लबों, कॉलेजों और विद्यार्थियों तक पहुंचाया जाता है। पुलिस जांच के अनुसार, ई-सिगरेट की कीमत चार से आठ हजार रुपये तक होती है। नेपाल से नशाखोरी इसे ढाई से चार हजार रुपये में खरीदकर लाते हैं। दिल्ली-NCR में इसकी कीमत 6 से 8 हजार रुपये है। ई-सिगरेट उत्तर प्रदेश से पीलीभीत और खटीमा से दिल्ली-NCR में भेजा जाता है।

E-Cigarette का क्या अर्थ है?

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ई-सिगरेट एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। यह इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन वितरण प्रणाली का उपकरण है। शरीर बैटरी से निकोटिन प्राप्त करता है। लेकिन इसे पीने पर धुंआ निकलता है, क्योंकि इसमें तंबाकू नहीं होता और इसे माचिस-लाइटर से नहीं जलाया जाता।

लेकिन हर ई-सिगरेट धुंआ नहीं बनाता। ई-सिगरेट कार्टेज में लिक्विड निकोटिन भरता है। खाली होने पर फिर से भर सकते हैं। ई-सिगरेट में एक एलईडी बल्ब है। यह बल्ब कश लगाने पर जलता है, जिससे लिक्विड निकोटिन गर्म होकर भाप बनता है। कश लगाने वाला धुंआ इस भाप को खींचता है।

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