Economic Survey 2024: महंगाई, बेरोजगारी, जीडीपी वृद्धि..। बजट से पहले आर्थिक सर्वे में ये बातें आयीं सामने

Economic Survey 2023-24: मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरण 2.30 बजे एक प्रेस कॉंफ्रेंस में वित्त मंत्री का इकोनॉमिक सर्वे प्रस्तुत करेंगे।

Economic Survey 2024

Economic Survey 2024: वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पिछले वित्त वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया है। सर्वेक्षण के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी 6.5-7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2025-26 में महंगाई दर 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आर्थिक सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जो भी सुझाव दिए गए हैं, उसकी झलक बजट में देखने को मिल सकती है।

खेती छोड़ रहे मजदूरों के लिए रोजगार की जरूरत!

रोजगार को लेकर आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र सबसे ज्यादा (Economic Survey 2024) रोजगार पैदा करने वाला क्षेत्र है। बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर सरकार के जोर देने की वजह से निर्माण क्षेत्र तेजी से विकास कर रहा है। सर्वे के अनुसार निर्माण क्षेत्र में नौकरियां असंगठित हैं और वेतन बहुत कम है, इसलिए कृषि क्षेत्र को छोड़कर जाने वाले श्रमबल के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने (Economic Survey 2024) की जरूरत है। सर्वे में कहा गया है कि पिछले दशक में खराब ऋणों की विरासत के कारण पिछले दशक में विनिर्माण क्षेत्र में कम रोजगार सृजित हुए हैं, लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

जीडीपी वृद्धि:

खाद्य मुद्रास्फीति वैश्विक चुनौती बन गई है

सर्वे के अनुसार पिछले दो वर्षों से खाद्य मुद्रास्फीति पूरी (Economic Survey 2024) दुनिया के लिए चुनौती बनी हुई है। भारत में कृषि क्षेत्र खराब मौसम की भेंट चढ़ गया है। जलाशय में कमी आई है, जिससे फसल को नुकसान पहुंचा है, जिससे खाद्य उत्पादन कम हुआ है और इसके कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि हुई है। इसका परिणाम यह हुआ कि खाद्य मुद्रास्फीति दर जो वित्त वर्ष 2022-23 में 6.6 प्रतिशत थी, वह वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत हो गई है।

महंगाई कम हुई

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, कोरोना महामारी, वैश्विक तनाव, आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान, असमान मानसून के कारण महंगाई बढ़ी। अंतरराष्ट्रीय युद्ध और खराब मौसम के कारण खाद्य पदार्थ महंगे हो गए, जिससे भारत में वस्तुएं और सेवाएं महंगी हो गईं। लेकिन प्रशासनिक और मौद्रिक नीति कार्रवाई के (Economic Survey 2024) माध्यम से देश में महंगाई को नियंत्रित करने में सफलता मिली है। वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई दर 6.7 प्रतिशत थी, वित्त वर्ष 2023-24 में इसे घटाकर 5.4 प्रतिशत करने में सफलता मिली है।

महंगाई:

शहरी-ग्रामीण खपत में उछाल

मांग के मोर्चे पर आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि जीडीपी वृद्धि में निजी खपत में वृद्धि बहुत महत्वपूर्ण है। वित्त वर्ष 2023-24 में निजी ढेर उपभोग व्यय (पीएफसीई) 4 प्रतिशत की दर से बढ़ा। शहरी क्षेत्रों में मांग बहुत मजबूत है, जो घरेलू यात्री वाहन बिक्री और हवाई यात्री यातायात सहित शहरी खपत संकेतकों में परिलक्षित होती है। वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च) के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में भी खपत लौटती दिख रही है। FADA के अनुसार, दोपहिया, तिपहिया और यात्री वाहनों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है।

रोजगार:

23 जुलाई को पेश होगा बजट

आर्थिक सर्वेक्षण पेश होने के बाद वित्त मंत्री मंगलवार यानी 23 जुलाई 2024 को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट पेश करेंगी। यह लगातार सातवीं बार होगा जब निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी।

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अन्य बातें:

आर्थिक सर्वेक्षण में निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं:

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