नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के फटकार के बाद एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को सौंप दी। बॉन्ड भुनाने वाले राजनैतिक पार्टीयों में बीजेपी, TMC और कांग्रेस सबसे सबसे बड़ी पार्टी रही तो कुछ दल ऐसे भी हैं जिन्हें बॉन्ड का एक पैसा भी नहीं मिला। लेकिन एसबीआई के जानकारी से ना तो सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट हुई और ना ही चुनाव आयोग। लेकिन किसने किसको कितना चंदा दिया इसकी पूरी जानकारी के लिए चुनाव आयोग ने दूसरा पैतरा अपनाया। चुनाव आयोग द्वारा राजनैतिक पार्टीयों को आदेश दिया गया कि वो इस बात का खुलासा करें कि उन्हें किसने कितना बॉन्ड दिए। फिर क्या था पार्टीयों की पोल खुलनी प्रारंभ हुई और इन राजनीतिक दलों द्वारा जो खुलासे किए गए उनमें डोनर्स के नाम जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे।
किस पार्टी को कितना चुनावी चंदा
राजनीतिक पार्टी को मिले चुनावी बॉन्ड को लेकर अब जो खबर आ रही है वो आपको हैरान कर देगी। रविवार को इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर नई खबर समाने आई। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने राजनैतिक पार्टी को मिलने वाले चुनावी चंदे की जानकारी साझा की। जिसमें इस बात का खुलाशा हुआ कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स भुनाने वाले लिस्ट में बीजेपी पहले नंबर पर रही। इस लिस्ट में
- भाजपा -6,986.5 करोड़ रुपये
- तृणमूल कांग्रेस- 1,397 करोड़ रुपये
- कांग्रेस- 1,334 करोड़ रुपये
- बीआरएस- 1,322 करोड़ रुपये
- समाजवादी पार्टी – 14.05 करोड़ रुपये
- अकाली दल – 7.26 करोड़ रुपये
- अन्नाद्रमुक – 6.05 करोड़ रुपये
- नेशनल कॉन्फ्रेंस – 50 लाख रुपये
- तेदेपा – 181.35 करोड़ रुपये
- शिवसेना -60.4 करोड़ रुपये
- राजद- 56 करोड़ रुपये
- जदयू को कुल 13 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड्स के रूप में मिले।
किसने दिए इसकी जानकारी नही
ये बॉन्ड राजनीतिक पार्टी को किसने दिए। इसका पूरा खुलाशा अभी नही हुआ लेकिन इससे जुड़ा एक मामला आपको हैरान कर देगा। दरअसल चुनावी बॉन्ड को लेकर बंगाल और बिहार में सत्ता रूढ पार्टी और तृणमूल कांग्रेस और जदयू ने पार्टी को मिले चंदे को लेकर कहा की उसे इसकी कोई जानकारी नही है कि पार्टी को किसने चंदा दिया। जदयू ने कहा कि कोई व्यक्ति तीन अप्रैल 2019 को पटना स्थित हमारे कार्यालय में आया और एक सीलबंद लिफाफा सौंप कर चला गया। कार्यालय द्वारा जब इसे खोला गया लिफाफे में एक-एक करोड़ रुपये के 10 चुनावी बॉन्डा मिले जिसे हमने भुना लिए। वही ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भी कुछ इसी अंदाज में सफाई दी। TMC ने भी गुप्त दान की बात कही। वही उत्तरप्रदेश की पार्टी समाजवादी पार्टी ने भी करीब 10 करोड़ के बॉन्ड को अज्ञात सोर्स से मिलने की बात आयोग से कही। समाजवादी पार्टी ने कहा कि उसे कुल 10 करोड़ रुपये के 10 बॉण्ड डाक द्वारा प्राप्त हुए थे किसने दिए उसका कोई नाम नहीं था।
2018 में लागू हुई थी बॉन्ड स्कीम
दरअसल 16 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड्स की वैधता पर सवाल उठाते हुए एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), कॉमन कॉज़ और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी समेत पांच याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स को असंवैधानिक बताया था। जिसके बाद यह मामला चर्चा मे आ गया। कोर्ट ने एसबीआई को आदेश दिया कि वो इलेक्टोरल बॉन्ड्स से जुड़े सभी आँकड़े चुनाव आयोग को दें जिसे चुनाव आयोग सार्वजनिक करेगा। इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर जहां विपक्ष इसे बीजेपी का घोटाला बता रहा है वहीं बीजेपी इसे चुनावी चंदे में पारदर्शिता होने की बात कह रही हैं। आपको बताते चले कि 2018 से पहले राजनैतिक पार्टियों को ज़्यादतर चुनावी चंदे कैश के रूप में मिलते थे और यह चर्चा होती थी की कैश से दिए गए चंदे की वजह से चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता नहीं है। इसलिए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम लागू करते हुए कहा था कि ये स्कीम पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।