लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को फर्जी शस्त्र लाइसेंस से जुड़े मामले में आज उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. मंगलवार को वाराणसी की एमपी एमएलए कोर्ट ने 36 साल पुराने मामले में मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया था. इस मामले में पूर्व विधायक के खिलाफ आईपीसी की धारा 466/120बी, 420/120, 468/120 के तहत आरोप दर्ज किया गया था और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था.
यह भी पढ़ें- Delhi: CAA पर सीएम केजरीवाल का बड़ा बयान, कहा- ‘1947 के बाद सबसे ज्यादा माइग्रेशन होगा अब’
मुख्तार पर लगी आईपीसी की ये धारा
उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को फर्जी शस्त्र लाइसेंस से जुड़े मामले में आज उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. मंगलवार को वाराणसी की एमपी एमएलए कोर्ट ने 36 साल पुराने मामले में मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया था. इस मामले में पूर्व विधायक के खिलाफ आईपीसी की धारा 466/120बी, 420/120, 468/120 के तहत आरोप दर्ज किया गया था और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था.
जज अवनीश गौतम ने सुनाई सजा
वाराणसी के एमपी-एमएलए कोर्ट में जज अवनीश गौतम की अदालत ने माफिया मुख्तार अंसारी को 466/120बी के तहत आजीवन कारावास, 420/120 के तहत 7 साल की कैद और 50 हजार जुर्माना, 468/120 के तहत 7 साल की कैद और 50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई. 50 हजार जुर्माना और आर्म्स एक्ट के तहत 6 महीने की सजा. इसके अतिरिक्त, मुख्तार को मंगलवार को उसी घटना से जुड़े एक अन्य मामले से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी कर दिया गया. 11 मार्च को बहस पूरी होने के बाद 12 मार्च को फैसला सुनाया गया.
मुख्तार अंसारी पर आरोप है कि उन्होंने 10 जून 1987 को ग़ाज़ीपुर में जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में बंदूक लाइसेंस के लिए आवेदन जमा किया था. असलहा लाइसेंस प्राप्त करने के लिए जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से अनुमोदन प्राप्त किया गया. फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर चार दिसंबर 1990 को मुख्तार और तत्कालीन उपजिलाधिकारी समेत पांच अन्य के खिलाफ मोहम्मदाबाद थाने में सीबीआई ने मुकदमा दर्ज कराया था.