नई दिल्ली। नवनियुक्त Election Commissioner ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू आज कार्यभार संभालेंगे। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने दोनों के नामों की सिफारिश की थी। जिसके बाद कानून और न्याय मंत्रालय ने गुरुवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम- 2023 की धारा 4 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर राष्ट्रपति ने ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को भारत के चुनाव आयोग में चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया हैं। गौरतलब है कि 9 मार्च को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और उससे पहले 14 फरवरी को चुनाव आयुक्त अनूप पांडे रिटायर हो गए थे।
Election Commissioner के चयन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में खामियां : अधीर रंजन
चयन समिति के सदस्य और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को चुनाव आयुक्त के पद के लिए सरकार द्वारा रखे गए नामों पर असहमति जताई। चयन समिति की बैठक के बाद चौधरी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में खामियां हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के पास चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करने वाली समिति में बहुमत है। पहले मुझे 212 नाम दिए गए थे, लेकिन नियुक्ति से 10 मिनट पहले उन्होंने मुझे फिर से सिर्फ 6 नाम दिए।चयन समिति में सीजेआई भी नहीं हैं ऐसे में केंद्र सरकार अपने अनुकूल नाम चुन सकती है। इसलिए मनमाना है जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है उसमें कुछ खामियां हैं।
चयन समिति के बैठक में नामों पर फैसला
इससे पहले Election Commissioner के रिक्त पदों के लिए नामों पर विचार करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल और विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी की चयन समिति ने पहले बैठक की। यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता हुई। जिसमें ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू के नामों पर मुहर लगी। ज्ञानेश कुमार फरवरी में सहकारिता मंत्रालय के सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए, जबकि सुखबीर सिंह संधू, उत्तराखंड सरकार के पूर्व मुख्य सचिव थे।
चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति करते हैं चयन
ज्ञात हो कि 12 दिसंबर को सरकार नें राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्तों और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को विनियमित करने के लिए एक विधेयक पारित किया था। यह विधेयक चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और व्यवसाय का संचालन) अधिनियम, 1991 के जगह पर लाया गया था। विधेयक के अनुसार, सीईसी और ईसी की नियुक्ति एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। इस चयन समिति में प्रधान मंत्री, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, और विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल होंगें।