Haryana: हरियाणा में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ने के साथ ही राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन की चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस बार का चुनाव विशेष रूप से दिलचस्प होने वाला है क्योंकि राज्य के दो महत्वपूर्ण दल—दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (ASP)—ने गठबंधन का औपचारिक ऐलान कर दिया है। इस गठबंधन के तहत JJP 70 सीटों पर और ASP 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस गठबंधन को Haryana की राजनीति में नए समीकरण के रूप में देखा जा रहा है।
जननायक जनता पार्टी (JJP) का इतिहास
जननायक जनता पार्टी का गठन 2018 में हुआ था। यह पार्टी भारतीय राजनीति के एक प्रमुख परिवार से ताल्लुक रखती है, जिसके मुखिया चौधरी देवीलाल थे। दुष्यंत चौटाला, जो कि पार्टी के संस्थापक और Haryana के उपमुख्यमंत्री थे, ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) से की थी। लेकिन पारिवारिक और राजनीतिक मतभेदों के चलते उन्होंने INLD से अलग होकर JJP का गठन किया। JJP ने 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीती थीं और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
चंद्रशेखर आजाद और आजाद समाज पार्टी (ASP)
चंद्रशेखर आजाद, जो कि भीम आर्मी के संस्थापक भी हैं, एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। भीम आर्मी के माध्यम से चंद्रशेखर ने उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों में दलितों की आवाज को बुलंद किया। 2020 में, उन्होंने आजाद समाज पार्टी (ASP) का गठन किया। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य समाज के हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज को राजनीतिक मंच पर उठाना है।
गठबंधन के फायदे और नुकसान
फायदे:
संयुक्त वोट बैंक: JJP का जाट समुदाय में मजबूत प्रभाव है, जबकि ASP दलित और पिछड़े वर्गों में अपनी पकड़ बनाए हुए है। इस गठबंधन से दोनों पार्टियों का वोट बैंक मजबूत हो सकता है, जिससे चुनाव में उनकी स्थिति बेहतर हो सकती है।
राजनीतिक समीकरण: गठबंधन से राज्य के राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ यह गठबंधन एक मजबूत चुनौती पेश कर सकता है।
नई नेतृत्व शैली: चंद्रशेखर आजाद और दुष्यंत चौटाला, दोनों युवा नेता हैं और उनके पास नई सोच और ऊर्जा है। यह गठबंधन राज्य की राजनीति में नई दिशा देने का काम कर सकता है।
नुकसान:
वोटों का बंटवारा: गठबंधन के बावजूद, अगर दोनों पार्टियों के बीच वोटों का सही तालमेल नहीं बनता, तो यह उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। खासकर अगर जाट और दलित वोट बैंक में कोई विभाजन होता है।
आंतरिक कलह: गठबंधन के तहत सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच मतभेद उभर सकते हैं, जिससे आंतरिक कलह का सामना करना पड़ सकता है।
विपक्ष की रणनीति: विपक्षी दल इस गठबंधन को कमजोर करने के लिए अपनी रणनीतियों में बदलाव कर सकते हैं, जिससे गठबंधन को नुकसान हो सकता है।