Hathras Satsang Case : आखिर कैसे इतना आलीशान है बाबा का साम्राज्य, जानिए भोले बाबा की अमीरी का सच

हाथरस कांड के बाद पुलिस लगातार इस केस की जांच पड़ताल में जुटी हुई है लेकिन अभी तक भोले बाबा उर्फ सूरज पाल जाटव अब तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है। नारायण साकार विश्व हरि के नाम से पहचाने जाने वाले इस बाबा के देशभर में 24 आश्रमों का खुलासा हुआ है, जिनमें से हर एक करोड़ों की लागत से बने हैं।

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Hathras Satsang Case : बीते दो जुलाई को हाथरस में हुए हादसे में भोले बाबा और नारायण साकार विश्व हरि के नाम से मशहूर सूरज पाल (Bhole Baba Suraj Pal) के सत्संग के दौरान ऐसी भगदड़ मची कि बहुत से लोग जान गंवा बैठे। इस घटना के बाद सूरज पाल का पता नहीं चल रहा है कि वे कौन सी गुफा में छुपे हैं और किस आश्रम में हैं। उनके पास 24 आश्रम हैं और इसके लिए लाखों की लागत आई है।

देश के की हिस्सों में होती है बाबा की जयजयकार

भोले बाबा का नाम दो जुलाई के बाद से चर्चा में है। उनके सत्संग के दौरान हुए हादसे में 121 लोगों की मौत हो गई थी। बाबा सूरज पाल जाटव ने अपने लाखों भक्तों के भरोसे को सहारा बनाया और करोड़ों का साम्राज्य खड़ा किया। विशेष बात यह है कि भक्तों के अनुसार बाबा ने एक रुपया भी दान नहीं लिया था, फिर भी उनकी आस्था और विश्वास से उन्होंने देशभर में अपना धंधा फैलाया। बाबा ने बहुत चालाकी से कई ट्रस्ट बनाए और उनके नाम पर जायदाद खरीदी। इसके कारण विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में उन्होंने महलनुमा आश्रम खड़े किए।

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खुद को दान से अलग रखकर बाबा कैसे बने अमीर ?

बाबा के साम्राज्य की बात करें, तो माना जाता है कि वह करीब 100 करोड़ रूपये का है। वहीं इसमें अधिकांश अचल संपत्ति शामिल है, जो बाबा की ओर से बनाए गए ट्रस्ट के जरिए खरीदी गई है। इसके साथ ही उनके देशभर में 24 आश्रमों का भी खुलासा हुआ है। जानकारी के मुताबिक सूरज पाल सिंह जाटव ने 24 मई 2023 को अपनी सभी संपत्तियों को नारायण विश्व हरि ट्रस्ट के नाम कर दिया था और इस ट्रस्ट को बाबा के सबसे विश्वासपात्री सेवादारों द्वारा संचालित किया जाता है।

आपको बता दें कि, सूरज पाल, जिन्हें भोले बाबा के नाम से भी जाना जाता है खुद को दान से अलग रखते हैं लेकिन असल में उनके द्वारा बनाए गए ट्रस्ट के माध्यम से बहुमूल्य दान जुटाया जाता है। मैनपुरी आश्रम में एक बोर्ड देखने पर, वहां तमाम दानदाताओं के बारे में जानकारी होती है और उसमें 10,000 रुपये से लेकर 2.5 लाख रुपये तक के दान देने वाले दानकर्ताओं का जिक्र होता है। यह बात स्पष्ट करती है कि भोले बाबा ने अपनी संपत्ति को नहीं खरीदी बल्कि स्थानीय लोगों को ट्रस्टी बनाया था।

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