Hathras Stampede: हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ के कारण 100 से ज्यादा लोगों की मौत ने सभी को विचलित कर दिया है। मृतकों में अधिकांश महिलाएं हैं। हादसे के कारणों (Hathras Stampede) का पता जांच के बाद ही चलेगा, लेकिन एक चश्मदीद किशोरी ने स्थिति को विस्तार से बताया है।
यह किशोरी अपनी मां के साथ सत्संग में गई थी और उसने बताया कि वह खुद भी मरते-मरते बची है। उसकी मां घायल हैं और एटा के जिला अस्पताल में भर्ती हैं। ज्योति ने बताया कि सत्संग के दौरान बहुत भीड़ थी। सत्संग तीन घंटे तक चला और खत्म होने के बाद सभी लोग बाहर निकलने लगे।
चश्मदीद ज्योति ने बताया आखों देखी
ज्योति ने बताया कि पंडाल से निकलने का रास्ता बेहद संकरा था। बाहर निकलने की हड़बड़ी में लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और भगदड़ मच गई। बाहर मोटरसाइकिलें खड़ी थीं, जिससे रास्ता अवरुद्ध हो गया था। पीछे से लोग धक्का देते हुए आगे बढ़ रहे थे, जिससे कई लोग बेहोश होकर गिर गए और शायद कुछ मर भी गए थे। ज्योति ने कहा कि उसे और उसकी मां को एटा अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मां भी बेहोश थीं।
अन्य चश्मदीदों ने बताया आपबीती
अन्य प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महीने के पहले मंगलवार के कारण काफी भीड़ थी। इस सत्संग में राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा सहित कई राज्यों के लोग आए थे। वाहनों की कतार तीन किलोमीटर तक फैली हुई थी। पुलिस के अनुसार, साकार नारायण विश्व हरि भोले बाबा के सत्संग की शुरुआत मंगलवार सुबह नौ बजे हुई थी।
मानव मंगल मिलन सत्संग समिति की तरफ से आयोजन किया गया था। सत्संग में शामिल होने के लिए अलीगढ़, एटा, आगरा, मैनपुरी, इटावा, फिरोजाबाद, कासगंज के अलावा दिल्ली, जयपुर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। शाम चार बजे सत्संग समाप्त होने के बाद भीड़ पंडाल से निकलने लगी।
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जयपुर से आई एक महिला ने क्या कहा?
जयपुर से आई एक महिला ने बताया कि सत्संग समाप्त होने के बाद लोग बाहर निकलने की जल्दी कर रहे थे। गर्मी और उमस की वजह से श्रद्धालु जल्द से जल्द बाहर निकलना चाहते थे। भोले बाबा का काफिला निकालने के लिए श्रद्धालुओं को रोका गया, जिससे भगदड़ मच गई।
कई श्रद्धालु जमीन पर गिर गए और लोग उन्हें कुचलते हुए भागने लगे। पंडाल में चीख-पुकार मच गई। हादसे के बाद मृतकों और घायलों को एटा, हाथरस और अलीगढ़ के अस्पतालों में भेजा गया।