Jammu Kashmir : जम्मू-कश्मीर के रियासी में हुए आतंकी हमले को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। जानकारी के मुताबिक तीन महीने पहले पीओके के खाइगल गांव में हमले की साजिश रची गई थी। उस समय करीब 300 से 400 जेहादी सोपोर में मारे गए 2 आतंकियों अब्दुल वहाब और सनम जफर को लेकर इकट्ठा हुए थे। वहां पर इनका एक जलसा हा था और इस जलसे में जल्द हिन्दुस्तान के खिलाफ बड़ी वारदात को अंजाम देने का आह्वान किया गया था।
आपको ता दें कि कश्मीर में मारे गए आतंकी अब्दुल वहाब के वारिसी खत पढ़कर युवाओं को एक सभा के माध्यम से भारत के खिलाफ जिहाद के लिए आह्वान किया गया था। और ये सभा ISI के इशारे पर ही बुलाई गई थी। उस सभा में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के अलावा जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) से जुड़े कई और चेहरे भी मौजूद थे।
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रियासी हमले के पीछे है लश्कर-ए-तेयब का हाथ
9 जून को जम्मू कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ बताया जा रहा है। एनआईए इस हमले की जांच में जुटी हुई है। और कई लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है जिनसे पूछताछ जारी है। 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद से ISI ने पीओके और अन्य जगहों पर बने टेरर इंफ्रास्ट्रक्चर को बंद या बेहद कम कर दिया था उस दौर में पाकिस्तान पर FATF की तलवार लटक रही थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। पाकिस्तान में चुनाव हो चुके हैं और पाकिस्तानी सेना के लिए सरदर्द बने इमरान खान भी अब मैनेज हो चुके।
इसके साथ ही बताया जा रहा है कि पाकिस्तान पर FATF की तलवार हट गई है और IMF चीन की मदद से आर्थिक संकट भी कम हुआ है। सी के चलते आने वाले माहीनों में पाकिस्तान फिर से कश्मीर को डिस्टर्ब करने के लिए अपना पुराना जिहादी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में पूरी प्लानिंग के साथ लगा हुआ है। वर्तमान में पीओके से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के सबकॉन्टिनेंटल या फिर कहें तंजीमें PAFF और TRF जैसे संगठन कश्मीर घाटी में सक्रिय हैं।