Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट भी प्रमुख चर्चाओं में से एक है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट का परिणाम पूरे देश में सुर्खियों में रहा था। बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने कांटे की टक्कर में कांग्रेस उम्मीदवार राहुल गांधी को हराया था। बाद में राहुल गांधी केरल से सांसद चुने गए, जबकि स्मृति ईरानी केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बनीं।
फैजाबाद मंडल में स्थित अमेठी संसदीय सीट (Lok Sabha Election 2024) का देश की राजनीति में विशेष स्थान है। 2019 से पहले तक यह सीट गांधी परिवार की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती थी। रायबरेली की तरह अमेठी से भी गांधी परिवार का गहरा नाता रहा है। संजय गांधी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने भी यहां से संसदीय चुनाव जीते हैं।
अमेठी सीट का इतिहास
अमेठी, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। इसे बसपा सरकार द्वारा 1 जुलाई 2010 को आधिकारिक रूप से स्थापित किया गया था। गौरीगंज शहर अमेठी जिले का मुख्यालय है। शुरुआत में इसे छत्रपति साहूजी महाराज के नाम से जाना जाता था, जिसे बाद में बदलकर अमेठी कर दिया गया।
यह गांधी परिवार की कर्मभूमि रही है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, उनके पोते संजय गांधी, राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। अमेठी के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं देवी पाटन धाम, उल्टा गढ़ा हनुमान मंदिर, हनुमान गढ़ी मंदिर, सती महरानी मंदिर और मालिक मोहम्मद जायसी की मस्जिद।
अमेठी का राजनीतिक इतिहास
अक्टूबर 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, दिसंबर 1984 में लोकसभा चुनाव हुए। राजीव गांधी एक बार फिर अमेठी से उम्मीदवार बने। संजय गांधी की पत्नी, मेनका गांधी, अपने पति की विरासत का दावा करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ीं, लेकिन उन्हें केवल 50,000 वोट मिले। राजीव गांधी 3 लाख से अधिक वोटों के अंतर से विजयी हुए और यह साबित किया कि नेहरू-गांधी परिवार के असली उत्तराधिकारी वही हैं।
1989 और 1991 के लोकसभा चुनावों में राजीव गांधी ने फिर से अमेठी से जीत हासिल की। 1989 में उन्होंने जनता दल के उम्मीदवार और महात्मा गांधी के पौत्र, राजमोहन गांधी को हराया। 1991 में मई-जून में लोकसभा चुनाव हुए। 20 मई को पहले चरण की वोटिंग हुई। 21 मई को राजीव गांधी की हत्या के बाद, लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सतीश शर्मा निर्वाचित हुए। 1996 में सतीश शर्मा फिर से सांसद चुने गए।
अमेठी का जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो अमेठी में दलित (26 फीसदी), मुस्लिम (20 फीसदी) और ब्राह्मण (18 फीसदी) समुदाय का दबदबा है। इस आधार पर कांग्रेस को लगता है कि उन्हें फायदा हो सकता है। लेकिन पिछले पांच सालों में स्मृति ईरानी ने यहां जो काम करवाए और स्थानीय लोगों का विश्वास जीता, उसके आधार पर उन्हें भी वोट मिलेंगे। स्मृति ईरानी ने अमेठी में अपना घर भी बना लिया है और वह लगातार लोगों से मिलकर जनसंपर्क कर रही हैं।
2024 में क्या कांग्रेस को मिलेगी जीत?
लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) की बात करें तो कांग्रेस पार्टी ने लंबी चर्चा और कई बैठकों के बाद अमेठी सीट पर किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है। किशोरी लाल शर्मा काफी समय से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं और राजीव गांधी के समय से ही पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि कांग्रेस अपनी पारंपरिक सीट को बचा पाएगी या इस बार भी उसे हार का सामना करना पड़ेगा।
भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो पिछले चुनाव में स्मृति ईरानी ने बड़ा उलटफेर करते हुए सबको चौंका दिया था। इसलिए बीजेपी ने एक बार फिर स्मृति ईरानी को ही अमेठी सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं, बसपा ने नन्हे सिंह चौहान को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
2019 में स्मृति ईरानी ने लिया हार का बदला
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का यह गढ़ उसके हाथ से निकल गया। भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने अमेठी लोकसभा सीट पर बीजेपी की जीत का परचम लहराया। उन्हें अमेठी संसदीय क्षेत्र के 468,514 मतदाताओं का समर्थन मिला। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के राहुल गांधी थे, जिनके पास इस क्षेत्र की कमान 15 वर्षों से थी। राहुल को 413,394 वोट मिले। इस प्रकार, राहुल और स्मृति के बीच हार-जीत का अंतर 55,120 वोटों का रहा।
2014 में नही चल पाया था मोदी मैजिक
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपना गढ़ बचाने में सफल रही और राहुल गांधी अपनी सीट बचाने में कामयाब हुए। राहुल गांधी को 408,651 (46.71%) वोट मिले। दूसरी ओर, भाजपा की प्रत्याशी स्मृति ईरानी को 300,748 (34.387%) वोट मिले। इस प्रकार, भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी को अमेठी लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा।
2004 में पहली बार राहुल गांधी बने सांसद
2004 में, राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी पहली बार अमेठी से सांसद चुने गए और 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की। समाजवादी पार्टी ने यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था। 2009 में, राहुल गांधी फिर से सांसद निर्वाचित हुए और इस बार जीत का अंतर 3,50,000 से भी अधिक था। समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा।
1998 में संजय सिंह को मिली जीत
1998 में, बीजेपी ने कांग्रेस से आए अमेठी राजघराने के वारिस संजय सिंह को चुनाव लड़ाया, जिसमें संजय सिंह जीत गए और सतीश शर्मा हार गए। 1999 में, राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ा और अमेठी की सांसद बनीं, जबकि बीजेपी से चुनाव लड़
1998 में, बीजेपी ने कांग्रेस से आए अमेठी राजघराने के वारिस संजय सिंह को चुनाव लड़ाया, जिसमें संजय सिंह ने जीत हासिल की और सतीश शर्मा हार गए। 1999 में, राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ा और अमेठी की सांसद बनीं, जबकि बीजेपी के संजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा।