Lok Sabha: लोकसभा चुनाव 2024 में, बुजुर्ग, युवा और महिलाएं ने उत्साह भरा धारा दिखाया जब वे लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी निभाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई। बुजुर्ग मतदाताओं ने जवानों की तरह हौसला दिखाया, जैसे कि 80 वर्षीय कृष्ण अवतार कंसल जिन्होंने अपनी पत्नी को साथ लेकर ड्रमंड इंटर कॉलेज बूथ पर मतदान किया। उनकी पत्नी चलने में असमर्थ थीं, लेकिन वह उन्हें स्कूटी पर बैठाकर मतदान केंद्र पहुंचने में सहायता की। मतदान के बाद, कृष्ण अवतार ने सभी को देश हित में मतदान करने की अपील की।
बुजुर्गों को लोकतंत्र Lok Sabhaमें वोट देना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि:
1. अनुभव और ज्ञान का महत्व: बुजुर्ग वोटर्स के पास विशाल अनुभव और ज्ञान होता है जो उन्हें देश के इतिहास, राजनीति, और समाज की प्राचीनता के बारे में अधिक जानकार बनाता है। इसलिए, उनके वोट से समझदारी और अनुभव सहित निर्णय लिया जा सकता है।
2. समाज के विकास के लिए समर्थन: बुजुर्ग समाज के विकास और सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके वोट से ऐसे नेताओं को सत्ता में आने का मौका मिलता है जो समाज के बुराईयों को दूर करने और सुधार को गति देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
Lok Sabha Election 2024: मतदान देने जा रहे है आप, तो इन बातों का रखिए खास ध्यान..
3. अधिकारों का संरक्षण: बुजुर्गों को लोकतंत्र में भाग लेने से उनके अधिकारों का संरक्षण होता है। वे अपने वोट से उन नेताओं का चयन कर सकते हैं जो उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य, और विशेषज्ञता के मामले में सबसे अच्छे हैं।
88 year old Savitri ji cannot walk properly but has come to vote in a school in Dibrugarh in Assam..
The Power of Democracy 👆#LokSabaElections2024 #LokSabhaElections2024 #Vote #GeneralElections2024 pic.twitter.com/8aqPLT61UV
— MANOGYA LOIWAL मनोज्ञा लोईवाल (@manogyaloiwal) April 19, 2024
4. सामाजिक समर्थन का प्रदर्शन: बुजुर्गों का वोट एक सामाजिक संदेश भी भेजता है कि हम सभी के योगदान की महत्वता को मानते हैं और समाज में सभी वर्गों के सदस्यों के साथ समानता और समरसता की ओर प्रेरित करते हैं।
5. नेतृत्व की तलाश: बुजुर्ग नेताओं का समर्थन देकर, हम उन लोगों को प्रोत्साहित करते हैं जो अपने जीवन और सेवाओं से समाज को लेकर उत्साहित हैं। ये नेता समाज के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं।
इसलिए, बुजुर्गों को लोकतंत्र में वोट देना न केवल उनका अधिकार है बल्कि एक महत्वपूर्ण दायित्व भी। उनका योगदान समाज के निर्माण और सुधार में महत्वपूर्ण है और उनकी आवाज लोकतंत्रिक प्रक्रियाओं के लिए अत्यंत मूल्यवान है।