नई दिल्ली। RLJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। अपने इस्तीफे को लेकर उन्होंने कहा कि NDA में मेरे साथ नाइंसाफी हुई है इसलिए अब मैं यह तय करूंगा कि कहां जाना है।
NDA में सीट नही मिलने से थी नाराजगी
लोकसभा के मद्देनजर एनडीए ने राज्य के सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। सभी 40 सीटों में भाजपा, जदयू, लोजपा (रामविलास), राष्ट्रीय लोक मोर्चा और हम के बीच सीटों का बंटवारा हो गया। लेकिन राज्य में एनडीए की सहयोगी पशुपति कुमार पारस को नजरअंदाज कर उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोजपा (RLJP) को एक भी सीट नहीं मिली। जिसके बाद उन्होंने अपने साथ साथ नाइंसाफी होने का आरोप लगाया और मंत्रीमण्डल से इस्तीफे दे दिया। इस्तीफे के साथ उन्होंने कहा कि अब मैं तय करूंगा मुझे कहा जाना है।
#WATCH दिल्ली: राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा, "5-6 दिन पहले मैंने प्रेस वार्ता में कहा था कि मैं तब तक इंतजार करूंगा जब तक NDA सीटों की घोषणा नहीं करती। मैंने बहुत ईमानदारी से NDA की सेवा की। पीएम नरेंद्र मोदी देश के बड़े नेता हैं, लेकिन हमारी… pic.twitter.com/UrTBN7vpkc
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 19, 2024
RLJP में पहले भी हो चुका है खेला
बिहार में यह राजनैतिक उथल पुथल नया नहीं हैं। किसी भी लंबी राजनैतिक घटना में बातें पुरानी छिपी होती है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जब 2019 में एक बार फिर राज्य में राजनीति करवट ले रही थी। 2019 में हाजीपुर सीट से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बने पशुपति पारस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में जगह दी और केंद्र में मंत्री बनाया। लेकिन, 2024 में होने जा रहे लोकसभा के चुनाव में भाजपा ने भतीजे चिराग पासवान को तरजीह दी और चाचा पशुपति कुमार पारस को सीधे नजर अंदाज कर दिया। देखने में भले यह घटना नया लग रहा हो। लेकिन है बड़ा पुराना। एनडीए से अलग होने के बाद आज अकेले पड़ने वाले पारस कभी बीजेपी की पसंद हुआ करते थे। इस वक्त को बीते मात्र 3 साल हुए हैं है। लेकिन राजनीति में एक बहुत वक्त होता है 2021 में एलजेपी में टूट होने के बाद पशुपति कुमार पारस का धड़ा जब बीजेपी के साथ था और वो मंत्री पद पर भी थे. चिराग पासवान अकेले रह गए थे।
पहले से रची जा रही थी साजिस
बिहार में एनडीए के सहयोगीयों में हुए सीट बँटबारे में बड़े नेताओं को तरजीह ना देना बहुत कुछ बताता है। जो बिहार में सीटों के ऐलान से पहले ही NDA के अंदर क्या चल रहा है यह साफ-साफ दिखने लगा था। क्योंकि, हाजीपुर की सीट पर दावा को लेकर चिराग पासवान अपने चाचा पशुपति कुमार पारस पर भारी पड़ते दिख रहे थे। भाजपा के कई दिग्गज नेता भी चिराग के पक्ष में ही लगातार बातें कर रहे थे। कुछ महीने पहले से ही सबकुछ धीरे-धीरे सामने आने लगा था। एक तरफ गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आदि शीर्ष नेताओं से चिराग मिल रहे थे तो दूसरी तरफ पशुपति कुमार पारस से सम्राट चौधरी और मंगल पांडेय जैसे राज्य स्तर के बड़े नेताओं से मिल रहे थे। इससे आप समझ सकते हैं कि कितना बड़ा फर्क आ गया था। भाजपा की तरफ से पशुपति कुमार पारस को किसी राज्य का राज्यपाल बनाने का ऑफर दिया गया था। जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। हालांकि ये खबरे सिर्फ मीडिया तक सीमित रह गई। जिसके बाद अब पशुपति कुमार पारस को एनडीए ने नकार दिया।