Mayawati: रविवार को प्रयागराज में आयोजित ‘संविधान सम्मान सम्मेलन’ में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को ‘दोगली सोच’ वाले दल बताया और लोगों से उनके ‘चाल और चरित्र को लेकर सजग रहने को कहा। साथ ही उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी अब किसी भी चुनाव में सपा और कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी।
“ऐसी दोगली सोच, चाल, चरित्र से निश्चित रूप से सजग रहें।”
कांग्रेस पार्टी, बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर के अनुयायी, कल (शनिवार) प्रयागराज में संविधान सम्मान समारोह करेगी। मायावती ने एक सोशल मीडिया मंच पर लिखा। कांग्रेस ने संविधान के मूल निर्माता बाबा साहेब को जीते-जी और मरने के बाद भी भारत रत्न की उपाधि नहीं दी। मायावती ने कहा कि बाबा साहेब के अभियान को गति देने वाले मान्यवर श्री कांशीराम का देहांत होने पर भी कांग्रेस ने केंद्र में अपनी सरकार के दौरान उनके सम्मान में एक दिन भी राष्ट्रीय शोक नहीं घोषित किया और न ही तत्कालीन सपा सरकार ने राजकीय शोक घोषित किया। इस तरह की गलत सोच, व्यवहार और चरित्र से बचने के लिए हमेशा सजग रहें।
कांग्रेस ने देश में जातिगत जनगणना क्यों नहीं की?
जातिगत जनगणना पर पूर्व मुख्यमंत्री ने पूछा कि कांग्रेस ने अपनी सरकार में राष्ट्रीय जातिगत जनगणना क्यों नहीं की थी जब भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) ने केंद्र में सत्ता हासिल की थी, जबकि अब वह इसकी बात कर रही है, जवाब दें? यह कमजोर वर्गों के हित में महत्वपूर्ण है, इसलिए बसपा हमेशा इसके पक्षधर रही है।शनिवार को, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रव्यापी जातिगत जनगणना की मांग पर जोर देते हुए कहा कि देश के 90 प्रतिशत लोग व्यवस्था से बाहर हैं और उनके हित में कदम उठाने की जरूरत है। विपक्षी नेता ने लोकसभा में कहा, ‘कांग्रेस के लिए जातिगत जनगणना नीति निर्माण की बुनियाद है।
खत्म करने की निरंतर साजिश का दावा
Mayawati ने कहा कि कांग्रेस, सपा और भाजपा ने संविधान के तहत एससी/एसटी (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति) को मिले आरक्षण में अब वर्गीकरण और “क्रीमी लेयर” के माध्यम से इसे निष्प्रभावी बनाने और खत्म करने की चल रही साजिश के विरोध में चुप्पी साध रखी है। सावधान रहें, क्या यही उनका दलित प्रेम है।बसपा अध्यक्ष ने कहा, ‘एससी, एसटी व ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) के हित में क्या अब किसी भी चुनाव में सपा व कांग्रेस आदि जैसी इन आरक्षण विरोधी पार्टियों के साथ कोई गठबंधन करना उचित होगा? यह बिल्कुल नहीं होगा।
Mayawati ने एक दिन पहले ही अखिलेश का आभार व्यक्त किया था
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सार्वजनिक भाषण में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष Mayawati के खिलाफ एक विधायक की ‘आपत्तिजनक टिप्पणियों’ पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि विधायक पर मानहानि का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। बसपा अध्यक्ष मायावती ने इस मुद्दे पर अखिलेश यादव का आभार व्यक्त किया था।
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समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी कब साथ आए?
सपा और बसपा एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी हैं। हालांकि 1993 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के बीच विधानसभा चुनाव में समझौता हुआ था, तब इसकी पहल बसपा संस्थापक कांशीराम और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने की थी। जून 1995 में लखनऊ के सरकारी गेस्ट हाउस में सपा और बसपा कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प के बाद यह समझौता टूट गया था। तब बसपा ने मायावती पर सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा हमला किए जाने का आरोप लगाया था। फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा ने मिलकर 10 उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से पांच जीतीं, लेकिन 2019 के चुनाव परिणामों के बाद से दोनों पार्टियों के नेता अक्सर एक दूसरे पर हमला करते रहे हैं।