नई दिल्ली। हर साल की तरह इस बार भी करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को मनाया जायेगा. इस बार करवा चौथ का व्रत 1 नवम्बर यानी बुद्धवार को पड़ रहा है. यह त्योहार हिन्दू परम्पराओ में बहुत लोकप्रिय माना जाता है विशेष तौर पर उत्तर भारत में इस दिन सुहागिन अपने पति की लंबी आयु की कामना और घर में सुख शांति के लिए व्रत रखती हैं.
पति के दीर्घायु के लिए व्रत
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत बहुत ही फलदायक माना गया है. यह व्रत सबसे कठिन भी है क्योंकि इसमें पूरे दिन बिना जल व अन्न ग्रहण किये हुए महिलाओं को रहना पड़ता है और शाम के समय पूरे विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनी जाती है. इसमें सभी सुहागिन महिलाएं मिलकर पूरे धार्मिक रूप से अपने पति की लंबी आयु के लिए पूजा करती हैं और रात में चाँद निकलने पर उन्हें अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत खोला जाता है.
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सबसे पहले माता पार्वती ने रखा था व्रत
पुरानी परम्पराओं के अनुसार सबसे पहले यह व्रत माता पार्वती ने महादेव के लिए रखा था. इस व्रत के करने से पति की लंबी उम्र होती है और गृहस्थ जीवन में खुशहाली बनी रहती है मान्यताओ के अनुसार यह व्रत कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं. जिससे उन्हें मनचाहा वर प्राप्त हो सके और अपना गृहस्थ जीवन सुखदायी व मंगलमय व्यतीत कर सके. यह व्रत हिन्दू परम्पराओं में बहुत ही पवित्र माना गया है.
करवा चौथ व्रत का शुभ मुहुर्त
बता दें कि हिन्दू पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत 01 नवम्बर को सुबह 06 बजकर 33 मिनट से शुरू होगा और रात 08 बजकर 15 मिनट तक रखा जायेगा. कुल मिलाकर इस बार यह व्रत 13 घंटे 42 मिनट का है. यह व्रत चन्द्रमा निकलने के बाद ही खोला जाता है लेकिन हर राज्य में चन्द्रमा निकलने का समय अलग-अलग हो सकता है.