Odisha: आज ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर का प्रसिद्ध खजाना, ‘रत्नजागिरी’ खुलेगा। 46 साल बाद, राज्य सरकार आभूषणों और अन्य महंगी वस्तुओं की सूची बनाने के लिए इस खजाने को खोल रही है। 1978 में इसे पहली बार खोला गया था।
आइए देखें कि रत्न भंडार क्या है? यह पहले कब खोला गया था? 46 वर्ष बाद फिर से क्यों खोला जा रहा है? कितने बजे इसे खोला जाएगा? यह भंडार कक्ष की चाबी खोने का क्या कारण है?
Jai Jagannatha 🙏🏻#RathaYatra2024 pic.twitter.com/0Yb5D2utUC
— Shree Jagannatha Temple, Puri (@JagannathaDhaam) July 12, 2024
तीन देवताओं के रखे गहने
12. शताब्दी में चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर Odisha बनाया गया था। मंदिर में रत्नों का भंडार है। माना जाता है कि जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं, जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने इसी रत्न भंडार में रखे गए हैं। भगवान को कई राजाओं और भक्तों ने जेवरात चढ़ाए थे। उन सभी को रत्न भंडार में रखा गया है। इस रत्न भंडार में मौजूद जेवरात कहा जाता है कि बेशकीमती हैं। इसका आज तक मूल्यांकन नहीं हुआ है। यह ऐतिहासिक संग्रहालय जगन्नाथ मंदिर के उत्तरी किनारे पर है।
पृष्ठभूमि:
- 12वीं शताब्दी में निर्मित, जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है।
- मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रत्नों का विशाल भंडार, “रत्नजागिरी” है।
- 1978 में अंतिम बार खोला गया था, 46 साल बाद 14 जुलाई 2024 को फिर से खोला जाएगा।
ध्यान दें कि Odisha पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1952 के तहत बनाया गया अधिकार रिकॉर्ड में भगवान जगन्नाथ के आभूषणों की एक सूची है।
यह रत्नों का भंडार जगन्नाथ मंदिर में दो भागों में है।
1: अंदरूनी भंडार
2: बाहरी भंडार
बाहर भंडार में अक्सर भगवान को पहनाए जाने वाले जेवरात मिलते हैं। भीतरी भंडार में उपयोग में नहीं लाए गए सामान रखे जाते हैं। रत्न भंडार के भीतर पिछले छह साल से एक चाबी गायब है, लेकिन बाहरी भाग अभी भी खुला है।
भंडार में कितना खजाना है?
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन द्वारा उच्च न्यायालय में दाखिल किए गए हलफनामे के अनुसार, रत्न भंडार में तीन कक्ष हैं। आंतरिक कक्ष, जो 25 गुणा 40 वर्ग फुट का है, में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है। इनका कभी उपयोग नहीं हुआ। बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है, जिन्हें त्योहारों पर निकाला जाता है। वर्तमान कक्ष में 3 किलो 480 ग्राम सोना और 30 किलो 350 ग्राम चांदी है, जिनका दैनिक अनुष्ठान में उपयोग होता है।
#WATCH | Puri, Odisha: Special boxes brought to Shri Jagannath Temple ahead of the re-opening of Ratna Bhandar.
The Ratna Bhandar of the Shri Jagannath Temple is to be opened today following Standard Operating Procedure issued by the state government. pic.twitter.com/xwRdtQe0Ml
— ANI (@ANI) July 14, 2024
मुख्य बिंदु:
- कारण:
- 1978 के बाद मंदिर में आई संपत्ति का कोई लेखा-जोखा नहीं है।
- 2011 में तिरुवनंतपुरम के पद्मनाभ स्वामी मंदिर के खजाने की खोज के बाद रत्न भंडार का मुद्दा गरमाया।
- 2024 के चुनावों में भाजपा ने वादा किया था कि वे सत्ता में आने पर खजाना खोलेंगे।
रत्न भंडार कब-कब खुला है?
मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख अरविंद पाढी के अनुसार, रत्न भंडार 1905, 1926, और 1978 में खोला गया था और बेशकीमती चीजों की सूची बनाई गई थी। इसे आखिरी बार 14 जुलाई 1985 को खोला गया था, मरम्मत के बाद इसे बंद कर दिया गया और फिर कभी नहीं खोला गया। चाबी भी गायब हो गई।
चाबी कैसे गायब हुई?
Odisha सरकार ने मंदिर की भौतिक जांच करने के बाद भंडार की चाबी खो दी। 4 अप्रैल 2018 को रत्न भंडार में चाबियां खो गईं। हंगामे के बाद, नवीन पटनायक ने न्यायिक जांच का आदेश दिया, और नवंबर 2018 में आयोग ने 324 पेज की रिपोर्ट सौंपी। इसके बाद, पुरी के तत्कालीन जिला कलेक्टर को एक रहस्यमय लिफाफा मिला जिसमें नकली चाबियां थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे को उठाया था, जब उन्होंने 20 मई 2024 को ओडिशा में चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि जगन्नाथ मंदिर सुरक्षित नहीं है और रत्न भंडार की चाबी छह साल से गायब है।
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प्रक्रिया:
- ओडिशा सरकार ने उच्च स्तरीय समिति गठित की है।
- रविवार (14 जुलाई) को दोपहर 1-1.30 बजे खोला जाएगा।
- मंदिर समिति, रिजर्व बैंक और ASI के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।
- डिजिटल दस्तावेजीकरण होगा।
अब क्यों खोला जा रहा है?
1978 के बाद से मंदिर के पास कितनी संपत्ति आई, इसका कोई अंदाजा नहीं है। हाल ही में हुए चुनाव में रत्न भंडार का मुद्दा बड़ा बना था, भाजपा ने वादा किया था कि वे सत्ता में आने पर खजाना खोलेंगे। इससे पहले, 2011 में तिरुवनंतपुरम के पद्मनाभ स्वामी मंदिर का खजाना खोला गया था और 1.32 लाख करोड़ रुपये का खजाना मिला था।
अब कैसे खुलेगा भंडार?
ओडिशा सरकार ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को खोलने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक नई उच्च स्तरीय समिति गठित की है। ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि समिति का गठन उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार किया गया है। भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती समिति को भंग कर नई समिति गठित की है।
सुरक्षा:
- सांपों के समूह को रत्नों का रक्षक माना जाता है।
- सांप पकड़ने वालों और डॉक्टरों की टीम मौजूद रहेगी।
एक समिति का गठन
पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि आंतरिक कक्ष खोलने की प्रक्रिया रविवार से शुरू होगी। मंदिर परिचालन समिति के सदस्यों के साथ रिजर्व बैंक और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। सभी चीजों का डिजिटल डॉक्यूमेंट बनाया जाएगा।
इस समय खुलेगा रत्न भंडार
उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष बिश्वनाथ रथ ने बताया कि रत्न भंडार शुभ समय में दोपहर एक बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक खुला रहेगा।
महत्व:
- अनुमानित मूल्य का आकलन होगा।
- मंदिर की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
- ओडिशा की समृद्ध संस्कृति और विरासत का प्रदर्शन होगा।
सांप कर रहे रक्षा
आंतरिक रत्न भंडार से फुफकारने की आवाजें आती हैं, और माना जाता है कि सांपों का एक समूह रत्नों की रक्षा करता है। Odisha मंदिर समिति ने सांप पकड़ने में निपुण व्यक्तियों को बुलाया है, और डॉक्टरों की एक टीम भी तैयार रहेगी।
जगन्नाथ मंदिर के चार द्वार
Odisha जगन्नाथ मंदिर के बाहरी दीवार पर चार द्वार हैं: सिंह द्वार (मुख्य प्रवेश द्वार), व्याघ्र द्वार, हस्ति द्वार, और अश्व द्वार। सिंह द्वार पर शेरों की प्रतिमाएं हैं, व्याघ्र द्वार पर बाघ की प्रतिमा, हस्ति द्वार पर हाथियों की प्रतिमाएं, और अश्व द्वार पर घोड़ों की प्रतिमाएं हैं।
अतिरिक्त जानकारी:
- रत्न भंडार में सोने, चांदी, रत्न और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं होने की उम्मीद है।
- मंदिर के चार द्वारों का प्रतीकात्मक महत्व है।
- 1985 में मरम्मत के बाद भंडार बंद कर दिया गया था और चाबी खो गई थी।
- 2018 में चाबी गायब होने का पता चला था, जिसके बाद न्यायिक जांच हुई थी।
द्वारों का महत्व
सिंह द्वार से मोक्ष की प्राप्ति होती है, व्याघ्र द्वार धर्म पालन की शिक्षा देता है, हस्ति द्वार लक्ष्मी का वाहन है, और अश्व द्वार विजय का प्रतीक है।