टैक्स स्कैंडल का मामला सामने आने के बाद कुछ देशों की सरकारें तक जोखिम में आ गई थीं, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि मामला कितना बड़ा था और कितना व्यापक था। उसके बाद भी मुकदमा शुरू करने में सालों लग गए।
27 लोग ट्रायल शुरू कर रहे हैं
AAFP की एक रिपोर्ट के अनुसार, पनामा पेपर्स मामले में अब जाकर जांच शुरू होने वाली है। इस मामले में आज से कम से कम 27 लोगों का ट्रायल शुरू होगा। मामले को पनामा की एक अदालत में सुनवाई की जा रही है। इस परीक्षा में जुरगेन मोसाक और रैमन फोन्सेका मोरा के नाम भी शामिल हैं। मोसाक फोन्सेका का संस्थापक मोसाक और मोरा लॉ फर्म है। यही कंपनी थी जो पनामा पेपर्स स्कैंडल के मूल में थी और अब बंद है।
कई देशों में फैला है Panama Papers का जाल
ICJA ने पनामा पेपर्स का मुद्दा उठाया था। 3 अप्रैल 2016 को, आईसीआईजे और जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung ने डॉक्यूमेंट्स को पहली बार प्रकाशित किया। डॉक्यूमेंट्स लॉ फर्म मोसाक फोन्सेका के थे, जिनमें टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग का ऐसा जाल बताया गया था जो दुनिया के 200 से अधिक देशों तक फैला हुआ था। पेपर्स में दुनिया भर के बहुत से प्रसिद्ध राजनेताओं, कारोबारियों और प्रभावशालियों के नाम सामने आए।
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क्या था दुनिया का सबसे बड़ा खुलासा
पेपर्स में लगभग सवा दो लाख टैक्स हेवेन्स का खुलासा हुआ था, जो दुनिया भर में प्रभावशाली लोगों द्वारा टैक्स चोरी करने, सरकारी खजाने को चूना लगाने और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को तोड़ने में इस्तेमाल किया जा रहा था। 1970 के दशक से 2016 तक, पेपर्स में कई टैक्स चोरियों के मामले थे। पूरा डाटा लगभग 2.6 टेराबाइट का था। इसे टैक्स चोरी और धन चोरी का अब तक का सबसे बड़ा पता चला है। पेपर्स में 128 प्रभावशाली दुनिया भर के लोगों के नाम थे, जिनमें कुछ भारत से भी थे।
इन लोगों पर आंच आई
आइलैंड के प्रधानमंत्री सिगमुंदुर डेविड गनलॉगसन को इस मामले में नाम सामने आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा। पड़ोसी देश पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का नाम भी पेपर्स में आया था, जिसके बाद उनके चुनाव लड़ने पर स्थायी प्रतिबंध लगा दिया गया। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून, अर्जेंटीना के पूर्व राष्ट्रपति मौरिसियो मैक्री, दिग्गज फुटबॉलर लियोनेल मेसी औरस्पेन के फिल्ममेकर पेड्रो अल्मोडोवार भी लीक में हैं।
आरोपियों को सिर्फ इतनी सजा
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि टैक्स चोरी का जाल ऐसे बनाया गया कि खुलासे में सामने आने वाले प्रभावशाली लोगों को कानूनी तौर पर गलत साबित करना बहुत मुश्किल हो गया। कम्पनी मोसाक फोन्सेका के संस्थापक जुरगेन मोसाक और रैमन फोन्सेका मोरा का मामला उदाहरण के लिए इस पूरे मामले का केंद्र था। दोनों को अब तक जेल में सिर्फ दो महीने की सजा सुनाई गई है।
इन कारणों से नहीं हो पाया इंटरनेशनल ट्रायल
रैमन फोन्सेका मोरा और जुरगेन मोसाक के खिलाफ आज शुरू होने वाले ट्रायल से पहले, दोनों के खिलाफ जर्मनी में गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया था, लेकिन दोनों को गिरफ्तार नहीं किया गया। जर्मनी ने टैक्स चोरी और क्रिमिनल संगठन चलाने का वारंट जारी किया।
पनामा के प्रत्यर्पण कानून उन्हें जर्मनी को हैंडओवर करने से रोकता है। ऐसे में जर्मनी में उन्हें सजा मिलना असंभव है। पनामा में उन्हें एक ब्राजीली कंपनी ओबेदब्रेख्त से जुड़ा ब्राइबरी का मामला जेल में डाला गया। मामले में फिलहाल दोनों बेल पर हैं, और आज से शुरू होने वाला ट्रायल 26 अप्रैल तक चलेगा। प्रोसेक्यूशन ने दोनों को 12 साल की जेल की सजा देने की मांग की है।
भारतीयों के नाम भी थे शामिल
- अमिताभ बच्चन: बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन के नाम भी इस लीक में आए थे।
- आदित्य बिरला: भारतीय उद्योगपति आदित्य बिरला के नाम भी इस लीक में शामिल थे।
- दीपक कोच्चर: भारतीय उद्योगपति दीपक कोच्चर के नाम भी इस लीक में आए थे।
- शोभा कारंदलिया: भारतीय उद्योगपति शोभा कारंदलिया के नाम भी इस लीक में शामिल थे।
- विजय माल्या: इंडियन बिजनेसमैन और पूर्व एयरलाइन किंगफिशर एयरलाइन्स के चेयरमैन विजय माल्या के नाम भी पनामा पेपर्स में शामिल थे।
- नीरव मोदी: ज्वेलर और पूर्व पीएनबी बैंक के अध्यक्ष नीरव मोदी का भी नाम पनामा पेपर्स में सामने आया था।
- अमित भारद्वाज: भारतीय उद्योगपति अमित भारद्वाज के भी पनामा पेपर्स में नाम था।
- निरव गोयल: अन्य एक भारतीय व्यापारी निरव गोयल का भी पनामा पेपर्स में उल्लेख था।
- हर्ष मित्तल: भारतीय उद्योगपति हर्ष मित्तल का नाम भी पनामा पेपर्स में आया था।
पनामा पेपर्स के मामले में भारतीय संसद में कोई विशेष काम नहीं हुआ है। यह विवाद भारत सरकार द्वारा जांच के तहत आया था, और नए नामों को सार्वजनिक किया गया था ।