अपनी चहीती नेता की हार नहीं बर्दाश्त कर सके समर्थक, उनकी मौत पर फूट-फूटकर रोईं नेता

पंकजा मुंडे ने एक्स पर वीडियो पोस्ट करके अपने समर्थकों से अपील की है। उनका कहना था कि मैं पिछले कुछ दिनों में युवाओं की आत्महत्या से दुखी हूँ। मुझ पर विश्वास न करने वाले अपनी जान जोखिम में डालेंगे।

Pankaja Munde: आपने शायद बड़े लोगों से सुना होगा कि हार-जीत को हल्के में नहीं लेना चाहिए..। यदि आज हार हुई तो कल जीत भी होगी…। यहां तक सब ठीक था, लेकिन हार-जीत ने महाराष्ट्र के बीड में चार लोगों को मार डाला। वास्तव में, Pankaja Munde यहीं से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ीं। 4 जून को, बीड में बीजेपी का 28 साल का शासन एनसीपी एसपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरदचंद्र पवार) के बजरंग सोनवाने से हार गया। पंकजा का एक और प्रशंसक आत्महत्या कर चुका है। बता दें कि परिणाम की घोषणा से अब तक चार समर्थक अपनी जान दे चुके हैं।

Pankaja Munde

समर्थकों की मौत पर Pankaja Munde ने रोया

रविवार को एक प्रसिद्ध व्यक्ति ने आत्महत्या की। पंकजा ने मरने वाले परिवार से मिलकर रोने लगी। 7 जून को पंकजा का समर्थक लातूर निवासी सचिन मुंडे ने आत्महत्या कर ली। 9 जून को पांडुरंग सोनवणे ने बीड के अम्बाजोगई में अपनी मृत्यु की घोषणा की। 10 जून को पोपट वायभसे बीड में आष्टी में मर गया। 16 जून को गणेश बड़े ने खेत में शिरूर कसार में फांसी लगाई। पंकजा मुंडे ने अपने समर्थकों से अपील की है कि वे ऐसे कदम नहीं उठाएं, क्योंकि आत्महत्या का सिलसिला अभी भी जारी है।

 

Pankaja Munde ने भावुक अपील की

X पर वीडियो पोस्ट करके Pankaja Munde ने अपने समर्थकों से अपील की है। उनका कहना था कि मैं पिछले कुछ दिनों में युवाओं की आत्महत्या से दुखी हूँ। मुझ पर विश्वास न करने वाले अपनी जान जोखिम में डालेंगे। मैं संघर्ष कर रहा हूँ और धैर्य रख रहा हूँ। आप धैर्य रखें और सकारात्मक रहें। मैंने हार मान ली है, आपको भी मानना होगा। रात अंधेरी होने पर प्रकाश आता है। तुम मेरे जीवन का प्रकाश हो, कृपया सकारात्मक रहें।

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पंकजा ने अपनी हार को स्वीकार करते हुए कही 

पकंजा मुंडे ने चुनाव में अपनी हार को स्वीकार करते हुए कहा कि इस बार चुनाव में जातिगत ध्रवीकरण काफी था। मेरे पिता के समय से ही हमने जाति, धर्म और समुदाय को छोड़कर राजनीति की है। याद रखें कि बीजेपी ने 1996 से 2019 तक बीड पर कब्जा किया था। उनके पिता गोपीनाथ मुंडे पहले यहां से चुनाव लड़ते रहे।

क्या पार्टी का निर्णय गलत था?

बीजेपी के दो बार के सांसद प्रीतम मुंडे की जगह इस बार उनकी बहन पंकजा मुंडे को टिकट दिया गया। बीजेपी को भरोसा था कि एनसीपी एसपी पंकजा मराठा आरक्षण आंदोलन में चुनौतियों का सामना करके पार्टी का पक्ष रख सकेंगे। इसके परिणामस्वरूप मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ जिलों में वोटों की गणना गड़बड़ हो गई। लेकिन फाइट बहुत सीमित रही। बजरंग सोनवाने को 6.83 लाख वोट मिले, जबकि पंकजा को 6.77 लाख वोट मिले।

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